ACS डॉ. सिद्धार्थ का लाइव औचक निरीक्षण में कैमरे पर जो दिखा वह स्कूलों की हकीकत बयां करती है। मामला, बनौल मध्य विद्यालय का है। यहां केवल 12 छात्र देखकर वीडियो कॉल पर भड़के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने जो कहा वह शिक्षा और शिक्षकों के लिए शर्म की बात है। शिक्षकों को तत्काल आदेश मिला। पढ़ाइए या घर-घर जाकर बच्चों को लाइए।
बिहार शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई: ACS ने अचानक वीडियो कॉल से किया निरीक्षण, खुली स्कूलों की पोल
जानकारी के अनुसार, स्कूलों की हकीकत फाइलों से निकलकर कैमरे पर आई सामने। लाइव निगरानी में शिक्षा विभाग का जमीनी सच उजागर हो गया। अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने पूछा यूनिफॉर्म का पैसा मिला? फिर बच्चे कहां हैं? इस औचक जांच से शिक्षा व्यवस्था में हड़कंप मचा है। उन्होंने तत्काल कम उपस्थिति पर शिक्षकों को गांव भेजने का आदेश दिया।
सीतामढ़ी के बनौल मध्य विद्यालय में हुआ लाइव निरीक्षण, सिर्फ 12 छात्र मिले मौजूद
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अब तकनीक के जरिए त्वरित कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सोमवार को सीतामढ़ी जिले के बनौल मध्य विद्यालय में वीडियो कॉल के माध्यम से औचक निरीक्षण किया।
कैमरे के सामने दिखी हकीकत
दफ्तर से ही वीडियो कॉल करते हुए ACS सिद्धार्थ ने शिक्षक से सवाल किया, “स्कूल पहुंच गए?” जब शिक्षक ने ‘हां’ में उत्तर दिया, तो उन्होंने तुरंत आदेश दिया, “कैमरा घुमाइए, कितने बच्चे हैं?” कैमरा घुमाते ही चौंकाने वाला दृश्य सामने आया — सिर्फ 12 छात्र कक्षा में मौजूद थे।
तत्काल सख्त आदेश
छात्रों की कम संख्या देखकर ACS सिद्धार्थ का चेहरा सख्त हो गया। उन्होंने तुरंत निर्देश दिया:
“दो शिक्षक यहीं पढ़ाएंगे। बाकी दो गांव जाकर माता-पिता से मिलें और बच्चों को स्कूल लाने के लिए प्रेरित करें।“
जब शिक्षक ने बहाना बनाया कि “शनिवार को बता दिया गया था कि स्कूल खुल गया है“, तो ACS ने तुरंत सवाल किया, “यूनिफॉर्म का पैसा मिल गया ना?” इस सवाल ने शिक्षकों की जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।
शिक्षा सुधार के नए प्रयास
बिहार में अब ऑनलाइन माध्यम से औचक निरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया बन सकती है। इससे:
शिक्षकों की उपस्थिति पर सीधी नजर रखी जा सकेगी।
बच्चों की उपस्थिति को बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाए जा सकेंगे।
ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकेगा।
निष्कर्ष : यह कदम साफ संकेत देता है
बिहार शिक्षा विभाग का यह कदम साफ संकेत देता है कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। डॉ. एस. सिद्धार्थ जैसे वरिष्ठ अधिकारी स्वयं जमीनी स्तर पर निगरानी कर रहे हैं ताकि “हर बच्चा स्कूल पहुंचे, हर स्कूल में पढ़ाई हो” का लक्ष्य पूरा किया जा सके।