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2 दिसम्बर, 2024
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का (क्या) 2005 के पहले ई (ये) सब होता था..जी..? Rohini Acharya का CM Nitish पर बड़ा Attack

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का (क्या) 2005 के पहले ई (ये) सब होता था..जी..? Rohini Acharya का CM Nitish पर बड़ा Attack। यह राजनीतिक बहस और कटाक्ष का हिस्सा है, जिसमें रोहिणी आचार्य ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवालों की झड़ी लगाते हुए (Rohini’s big attack on CM Nitish) विभिन्न मुद्दों को उठाया है।

रोहिणी का कटाक्ष

रोहिणी आचार्य का यह पोस्ट सीधा नीतीश कुमार के बार-बार 2005 से पहले के बिहार की स्थिति पर दिए गए बयानों पर सवाल उठाने के लिए है। उन्होंने कई ऐसे सवाल पूछे जो वर्तमान शासन और उसके मुद्दों पर केंद्रित हैं, जैसे:

  • सृजन घोटाला
  • जहरीली शराब से मौतें
  • विधानसभा में अशांति
  • अस्पतालों में लापरवाही

रोहिणी का तंज इस ओर इशारा करता है कि वर्तमान सरकार के दौरान भी कई गंभीर समस्याएं हुई हैं, जिन्हें 2005 से पहले की तुलना में कमतर नहीं आंका जा सकता।

नीतीश कुमार के लिए चुनौती

रोहिणी का बयान विपक्षी दल की ओर से मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली और नीतियों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाने का प्रयास है।

  • उनके अनुसार, “2005 के पहले क्या होता था” का तर्क अब पुराना और अप्रासंगिक हो गया है।
  • उन्होंने मुख्यमंत्री की कार्यशैली और निर्णय लेने की क्षमता पर भी कटाक्ष किया।

प्रभाव और प्रतिक्रिया

यह बयानबाजी बिहार की राजनीतिक गरमाहट को और बढ़ा सकती है, विशेषकर राजद और जदयू के बीच।

  • यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या जदयू इसका क्या जवाब देते हैं।
  • रोहिणी के सवाल जनता के बीच नीतीश सरकार की नीतियों और कार्यकाल पर चर्चा को पुनर्जीवित कर सकते हैं।

यह घटना बिहार में जारी राजनीतिक बहस का हिस्सा है, जो आगामी चुनावों या राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।

का (क्या) २००५ के पहले ई (ये) सब होता था .. जी .. ?

का (क्या) २००५ के पहले ई (ये) सब होता था .. जी .. ? “२००५ के पहले ये होता था .. २००५ के पहले वो होता था .. २००५ के पहले क्या होता था ” … ऐसा लगातार बोलना ही बोलने वाले की मंशा, कुंठा, पूर्वाग्रह और मानसिक दिवालिएपन को दर्शाता है।

पहले पर ही अटकी रहती है ..

सत्यापित-प्रमाणित पल्टीबाज, मौकापरस्ती, धोखेबाजी, आत्म-मुग्धता, नैतिक खोखलेपन की सबसे मुफीद मिसाल को आईने में अपना बदरंग-स्याह चेहरा दिखता नहीं है और घिसे रिकॉर्ड-प्लयेर की तरह सुई २००५ से पहले पर ही अटकी रहती है ..

मुजफ्फरपुर महापाप जैसा घृणित कुकृत्य हुआ था .. जी ?

बिना पेंदी, बिना जनाधार वाले से पूछा जाना चाहिए कि : क्या २००५ के पहले बिहार में : मुजफ्फरपुर महापाप जैसा घृणित कुकृत्य हुआ था .. जी ? क्या देश का सबसे बड़ा ट्रेजरी घोटाला सृजन हुआ था .. जी ? क्या बुडको में १३०० करोड़ का घोटाला हुआ था .. जी ? क्या थीसिस चोरी के मामले में मुख्यमंत्री को दोषी करार दिया गया था .. जी ?

क्या मुख्यमंत्री पर हत्या का मुक़दमा चला था .. जी ?

क्या मुख्यमंत्री पर हत्या का मुक़दमा चला था .. जी ? क्या सत्ता के संरक्षण में जहरीली – अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से होता था .. जी ? क्या बिना नागा हरेक महीने जहरीली शराब से दर्जनों मौतें होती थीं .. जी ? क्या सदन में पुलिस की आड़ में गुंडों को घुसा कर विपक्षी विधायकों की पिटाई करवाई जाती और महिला विधायकों की साड़ी फाड़ी जाती थी .. जी ?? क्या विधानसभा परिसर में शराब की बोतलें मिलीं थीं ..जी ?

सरेआम – ऑन कैमरा बेईज्जती की जाती थी .. जी ?

क्या मुख्यमंत्री व मंत्री के द्वारा सदन के सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष की सरेआम – ऑन कैमरा बेईज्जती की जाती थी .. जी ?? क्या मुख्यमंत्री के द्वारा मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ कर सेक्स – ज्ञान की आड़ में पाश्विक – कुंठा की अश्लील – अमर्यादित अभिव्यक्ति सरेआम सदन में की गयी थी .. जी ?

क्या चूहे हजारों लीटर शराब पी जाया व बांध कुतर दिया करते थे .. जी ?

क्या किसी पूर्व-मुख्यमंत्री व् नेता प्रतिपक्ष को ‘तुम – ताम’ करके सम्बोधित किया गया था .. जी ? क्या सवाल पूछने वाले पत्रकारों पर आँखों की गोटी निकाल कर बेवजह तेवर दिखाया गया था .. जी ? क्या फीता कटने के पहले हवा के झोंके , पानी के बहाव मात्र से पुल – पुलिया-बांध-सड़क बह व् ध्वस्त हो जाया करते थे .. जी ?

क्या चूहे हजारों लीटर शराब पी जाया व बांध कुतर दिया करते थे .. जी ?

क्या चूहे हजारों लीटर शराब पी जाया व बांध कुतर दिया करते थे .. जी ?? क्या अस्पताल में भर्ती व्यक्ति की आँख़ चूहे निकाल ले जाते थे .. जी ? क्या दलित महिलाओं की किडनी निकाल ली जाती और उनका गर्भाशय लूट लिया जाता था .. जी ??

क्या थानों – अस्पतालों – सरकारी स्कूलों से शराब बिकती थी .. जी ?

क्या थानों – अस्पतालों – सरकारी स्कूलों से शराब बिकती थी .. जी ? क्या डीएनए पर सवाल उठाने वाले से समझौता किया जाता था .. जी ? क्या मुख्यमंत्री अपने मातहतों के पैर पकड़ते – छूते चलते थे .. जी ?

सौ बात की एक बात ” चलनी दूसे सूप के जी ” ..!!

क्या मुख्यमंत्री की दिमागी हालत पर सवाल उठा था .. जी ? सवाल अंतहीन हैं.. जी , मगर उसके लिए जिसमें गैरत लेश – मात्रा भी बची हो , बेगैरत के लिए सवाल कैसे और नसीहत व् हकीकत कैसी !! .. सौ बात की एक बात ” चलनी दूसे सूप के जी ” ..!!

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