Purnia | ई बिहार है विनोद, यहां ‘ मुर्दा ’ टीचर भी पढ़ाता है, शिक्षा विभाग का Special Notice, हैरान कर देगा | बिहार के पूर्णिया जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। इस बार ई-शिक्षा कोष एप पर हाजिरी न बनाने वाले तीन शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया, लेकिन इनमें से दो शिक्षक पहले ही दुनिया छोड़ चुके हैं और एक शिक्षक पिछले पांच साल से जेल में बंद है।
मृत शिक्षकों को भेजा गया नोटिस
जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) के कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार, तीन शिक्षकों को अनुपस्थित रहने पर कारण बताओ नोटिस भेजा गया।
प्राथमिक विद्यालय गछकट्टा के शिक्षक अखिलेश मंडल – इनकी 01 दिसंबर 2024 को मौत हो चुकी है। बावजूद इसके, 18 मार्च 2025 से स्कूल में अनुपस्थित रहने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
मध्य विद्यालय विष्णुपुर के शिक्षक सुशील ठाकुर – इनका 11 नवंबर 2024 को निधन हो गया था। इसके बावजूद, डीईओ कार्यालय ने अनुपस्थित रहने पर स्पष्टीकरण मांगा है।
जेल में बंद शिक्षक को भी मिला कारण बताओ नोटिस
तीसरा मामला मध्य विद्यालय धमदाहा हाट के शिक्षक लक्ष्मी बेसरा का है।
ये शिक्षक पिछले पांच साल से जेल में बंद हैं।
21 जुलाई 2019 को हत्या के आरोप में इन्हें सजा हुई थी।
बावजूद इसके, उन्हें भी स्कूल में गैरहाजिर रहने पर नोटिस जारी कर दिया गया।
शिक्षा विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग में बिना जांच-पड़ताल के ही आदेश जारी कर दिए जाते हैं।
रोजाना बैठकों और मॉनिटरिंग का दावा करने वाले शिक्षा विभाग के पास शिक्षकों की अद्यतन (अप-टू-डेट) जानकारी तक नहीं है।
मृत शिक्षकों और जेल में बंद शिक्षक का नाम अब तक सिस्टम से नहीं हटाया गया।
नियमित समीक्षा के बावजूद ऐसी गलती होना शिक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
शिक्षा विभाग ने क्या सफाई दी?
जब इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रफुल्ल कुमार मिश्र से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों द्वारा विभाग को सही समय पर सूचना नहीं दी गई थी, जिसके कारण यह गलती हुई।
क्या बोले स्थानीय शिक्षक?
स्थानीय शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग सिर्फ वसूली में व्यस्त रहता है।
मनमाने ढंग से आदेश जारी होते हैं, लेकिन सही काम के लिए कोई अधिकारी जवाबदेह नहीं है।
मृत शिक्षकों को भी नोटिस जारी करना शिक्षा विभाग की निष्क्रियता को दर्शाता है।
क्या होगा आगे?
अब सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए कोई सख्त कदम उठाएगा? या फिर ऐसी लापरवाहियां जारी रहेंगी?