समस्तीपुर: समस्तीपुर सदर अस्पताल में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जहां रोस्टर में नाम होने के बावजूद कई डॉक्टर अपनी ड्यूटी से नदारद रह रहे हैं। इसके बजाय, वे निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों का इलाज करते पाए गए हैं। यह स्थिति सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और मरीजों की जान से खिलवाड़ का गंभीर मामला उजागर करती है।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर गहराता संकट
सदर अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हें सरकारी खर्च पर इलाज मिलना चाहिए, वे डॉक्टरों की लापरवाही के चलते निजी संस्थानों का रुख करने को मजबूर हैं। यह न केवल मरीजों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ा रहा है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर कब तक सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराती रहेगी।
निजी अस्पतालों में डॉक्टरों की चांदी
सूत्रों के अनुसार, रोस्टर में नाम होने के बावजूद ये डॉक्टर सरकारी अस्पताल से anupasthit रहकर अपने निजी क्लीनिकों में मरीजों की भीड़ जुटाते हैं। इस दोहरी भूमिका के कारण सदर अस्पताल में मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। यह व्यवस्था सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है।
जांच की मांग, कार्रवाई की उम्मीद
स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस मामले की गहन जांच और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि सरकारी डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस ही करनी है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। यह स्थिति आम आदमी के स्वास्थ्य अधिकारों का हनन है, और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
- रोस्टर में दर्ज डॉक्टरों की अनुपस्थिति।
- निजी क्लीनिकों में मरीजों का इलाज।
- सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव।
- जांच और कार्रवाई की मांग।







