बक्सर। जिले के स्वास्थ्य सेवा को लेकर वास्तविक धरातल के हकीकत का हाल -ए -बया करे तो फाइलों में पूरी तैयारी व सजगता से चलने वाले जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की वास्तविकता भयावह है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को लेकर पूर्व व वर्तमान सरकारों की सोच रही की ग्रामीणों का बेहतर स्वास्थ्य ही राष्ट्र के आर्थिक बोझ उठाने का वाहक है।अतः ग्रामीणों को भटकना ना पड़े और कम लागत पर या निशुल्क स्थानीय ठौर पर ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिले इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लबरेज किया जाए।
इस बाबत अगर बक्सर कि बात करे तो वर्तमान केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्य मंत्री आश्विनी चौबे कभी बिहार राज्य में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके है अब वे स्थानीय सांसद है।पूर्व राजीव गांधी मंत्रिमंडल के धमक के साथ मौजूद केन्द्रीय मंत्री कमल कान्त तिवारी भी बक्सर संसदीय क्षेत्र का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुके है।अटल बिहारी बाजपेयी के निकटत लालमुनी चौबे बक्सर संसदीय क्षेत्र का तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके है।अब स्थानीय सांसद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री आश्विनी चौबे भी दूसरी बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है।
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अपने अपने दौर में ये सभी इतने राजनितिक रसूकदार तो थे कि सूबे में बक्सर को स्वास्थ्य सेवा के मामले में एक नजीर बना देते ,पर ऐसा नहीं हुआ।स्थानीय ग्रामीण जनता के साथ छलावा इन सबों की नियति थी और है।
मौजूदा समय में आश्विनी चौबे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री है और बक्सर के प्रभारी मंत्री मंगल पाण्डेय बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री है।बावजूद धरातल कि एक बानगी ही जिले के स्वास्थ्य महकमे के फाइलों की कई परते खोल रही है। जिले के सिमरी प्रखंड के दुलहपुर गांव स्थित अतिरीक्त प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र लोगो के स्वास्थ्य सेवा के लिए बना है ,पर यहां के ग्रामीण इसे खटाल में तब्दील कर चुके है। ऑपरेशन रुम में लोग गाय भैस बांध रहे है तो ओपीडी उपले (गोईठा) से अटा पड़ा है।सम्पूर्ण स्वास्थ्य केंद्र परिसर में गोबर ही गोबर दिखाई पड़ते है।
ग्रामीणों कि माने तो इस अतिरिक्त प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर वर्ष 1997 में एक रोगी के हाइड्रोसील का ऑपरेशन हुआ था तब कभी कभार यहा चिकित्सक आया करते थे उसके बाद यहा चिकित्सकों का आना बंद हुआ फिर यह स्वास्थ्य केंद्र खुला ही नहीं।ऐसा नही है कि यह केंद्र स्वास्थ्य महकमे के फाइलों में बंद है।यह चालू है यहां बतौर चिकित्सक और एएनएम भी ड्यूटी बजाते है पर कहां ग्रामीणों को पता नहीं।कुछ यही स्थिति धनसोई प्रखंड के लक्ष्मीपुर गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की है।
जिले के कुल 11 प्रखंडो में से पांच प्रखंडों के प्राथमि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धारासायी है।सवाल यह है कि राज्य सम्भावित तीसरे करोना लहर को लेकर सचेत होने का दावा तो कर रहा है और यह भी है कि इस लहर का सर्वाधिक दवाब अगर बच्चो पर रहा तो ग्रामीण क्षेत्र सीधे प्रभावित होंगे।ग्रामीणों द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान बार बार आकृष्ट करने के बावजूद इस अह्म समस्या के प्रति उनकी उपेक्षा ग्रामीणों के समझ से परे की चीज है|

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