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दिसम्बर, 25, 2025

Madhubani News| Jhanjharpur Lok Sabha Election| झंझारपुर में वोट% के कम फीसद क्या कहते हैं…!

झंझारपुर लोकसभा सीट। चुनाव खत्म। नतीजे का इंतजार। मगर, वोटिंग के साथ राजनीतिक हलचल में अचानक एक कंकड़। उथल-पुथल। बढ़ती सक्रियता, कम वोट फीसद के मायने तलाशते मतदाता। साख पर जिनकी गोटी, वह इसकी संभावनाओं की तलाश में। आखिर, समृद्धि से परिपूर्ण राजनीतिक इतिहास को विरासत में समेटने वाला। डॉ.जगन्नाथ मिश्र की जीत से मौजूदा राजनीतिक हालात को खुद में समेटे झंझारपुर आखिर चुनाव बाद कहां है। किस मोड़ पर है। क्या यहां की नसीब, उसी झंझारपुर-अंधराठाड़ी पथ के ब्राह्मण बहुल गांव महरैल से बेलौस होकर गुजरने वाली ऊबड़-खाबड़ सड़क सरीखे है। या, इस कम पड़े वोट फीसद के कुछ अलग-थलग मायने हैं। जो तलाशे जा रहे। संभावनाओं को टटोला जा रहा। यहां की जनता को वर्तमान राजनीति से भी बेहद उम्मीदें हैं। लेकिन, निराश्य भाव साफ हाथ मलता दिख रहा। लोगों ने, मतदाताओं ने संभावनाएं खोलीं। झंझारपुर लोकसभा सीट का चुनावी परिदृश्य बदलने, लोग निकले। उनकी समझ बिल्कुल स्पष्ट और साफ थी। जहां, 1972 में मधुबनी लोकसभा सीट से अलग होकर एक नए सीट के गठन और झंझारपुर लोकसभा से खजौली, बाबूबरही, लौकही, फुलपरास, झंझारपुर, राजनगर विधानसभा सीट के मायने जरूर बदले। जहां, झंझारपुर के लोगों ने 1972 से आज तक 13 बार लोकसभा चुनाव की भागीदारी देकर, खुद के लिए एक नई राह चुनने की भरसकर हर बार कोशिश की। लेकिन, 5 बार पिछड़ा और 6 बार अतिपिछड़ा समाज के प्रतिनिधित्व ने इनकी जरूरतों को कहां तक भरा। यह कहानी वहीं से जहां, डॉ. जगन्नाथ मिश्र चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे। पहली बार, 2014 में बीजेपी यहां आई। मगर, चुनाव की मुद्दा विहीन व्यवस्था, इलाके का भला आज तक नहीं कर सकी। मधेपुर प्रखंड के चार पंचायत आज भी, नाव भरोसे है। बदहाली, फटेहाली, सुस्त विकास की रफ्तार का ही असर है, मंगल को जब वोटिंग शुरू हुए....वोटरों की रफ्तार तेज दिखी....शाम जाते-जाते...जोश को सुहाना मौसम, खुशगवारी की सर्दी लग गई....

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देशज टाइम्स | Highlights -

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Madhubani News| Jhanjharpur Lok Sabha Election| झंझारपुर लोकसभा सीट पर मंगलवार को मत पड़े। तीसरे चरण की यहां मिथिलांचल के गढ़ में शुरूआत हुई। अब, तेरह मई को दरभंगा। फिर बीस मई को मधुबनी लोकसभा सीट के लिए मतदान पड़ेंगे। मगर, झंझारपुर ने क्या सोचा, क्या देखा, क्या समझा? यहां लोकतंत्र ने एक नया अध्याय लिखा। निश्चित तौर पर,चुनावी रणक्षेत्र में बिगुल यहां से बजा है। मतदाताओं में अनायास उत्साह का फीका पड़ना क्या कहता है? वोट% के कम फीसद क्या कहते हैं…!

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Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| ये जुनून, ये रवानी, बुढ़ापे में भी लोकतंत्र की संजीदगी, मगर…

यहां, चुनावी पर्व को लेकर लोगों में उत्साह था। हर वर्ग के लोग चहक रहे थे। यही वजह रही कि 91 साल की वृद्धा राबिया मुखिया का जोश और जूनून ने यहां की पवित्र भूमि में लोकतंत्र का जज्बा कायम रखा। लिस्ट से नाम क्या कटे। राबिया की लोकतंत्र की रवानी जाग गईं। मगर, सवाल है? नाव से कोसी पार होकर। सुबह सात बजे से पहले चुनावी कतार में लगकर भी, झंझारपुर ने क्या पाया?

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Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| बिहार के तीसरे चरण में सबसे कम फीसद वोट डालने वाला सीट बन गया

झंझारपुर लोकसभा सीट बिहार के तीसरे चरण में सबसे कम फीसद वोट डालने वाला सीट बन गया। इस कम वोट फीसद के राजनीतिक विश्लेषक कई मायने निकाल रहे। आखिर, सुबह सात बजे वोटिंग के लिए समय निर्धारण के पहले से ही वहां वोटर वोट डालने पहुंच चुके थे। सुबह 7 बजे ही नगर परिषद बेलारही बूथ109 पर लोगों की लाइन लग चुकी थी। यहां, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलारही में दो बूथ थे, और दोनों पर वोटरों की पंक्ति लग चुकी थी। सात बजे यहां मतदान शुरू भी हो गया। कमला तटबंध किनारे क्षेत्र 37 का बूथ नंबर 317। एकदम बांध किनारे बसा राजकीय प्राथमिक विद्यालय हरना हिंदी। यहां भी मतदान केंद्र था।

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Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| सुरक्षा के लिए ट्रिपल लेयर इंतजाम, धूप से बचाव…कोसी दियारा

हरना के प्राथमिक मकतब संग्राम में 11 बजे तक बूथ 149, 152 और 153 एक ही भवन में अवस्थित है। सुरक्षा के लिए ट्रिपल लेयर इंतजाम था। धूप से बचाव के लिए तिरपाल भी लगाया गया था। सुबह 8:30 बजे तक यहां महिला और पुरुषों की काफी लंबी लाइन लगी मिली। गंगा में मधेपुर प्रखंड के कोसी दियारा क्षेत्र भी पड़ता है।

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| रेतीले बालू पर पैदल और बाइक, नाव…क्या नहीं

यहां गढ़गांव पंचायत है। मेनाही-परियाही और लुचबनी के मतदाता नाव से कोसी नदी का घाट टपकर मतदान करने पहुंचे थे। इतना ही नहीं कुछ जगहों पर नाव से घाट टपने के बाद मतदाता को कुछ दूर रेतीले बालू पर पैदल व बाइक से भी जाते दिखे। गढ़गांव के मेनाही-परियाही समेत लुचबनी के कोसी नदी घाट पर नाव की व्यवस्था थी।

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| कोसी नदी पार कर भी मतदान करने का जोश वोटरों में साफ दिख रहा था। लेकिन,

मधेपुर प्रखंड के कोसी दियारा क्षेत्र गढ़गांव पंचायत के परियाही कोसी नदी की घाट पर तीन-चार नाव के साथ नाविकों को लगाया गया था। ये नाविक मेनाही तथा लुचबनी गांव के मतदाता को प्राथमिक विद्यालय परियाही परिसर स्थित चलंत मतदान केंद्र 297 पर पहुंचाने में मदद कर रहे थे। कोसी नदी पार कर भी मतदान करने का जोश वोटरों में साफ दिख रहा था। लेकिन, अंत काफी निराशाजनक रहा। इसके मायने क्या हैं। यह तलाशे जा रहे। आखिर, मतदाताओं में उत्साह यकायक कम क्यों पड़ गया।

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| दिन-भर की कड़ी मशक्कत और शाम को मिलता फीसद

जानकारी के अनुसार, झंझारपुर संसदीय क्षेत्र में मतदान केंद्रों पर मतदाताओं भीड़ सुबह से ही जमी हुई थी। जिला निर्वाचन कोषांग के अनुसार एक बजे दिन तक करीब 34.94 प्रतिशत मतदान हो चुका था, लेकिन, अंत। बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) एचआर श्रीनिवास के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में इस चरण के सभी संसदीय क्षेत्रों में 61.22 फीसदी मतदान हुआ था। लेकिन इस बार मतदान की अंतिम रिपोर्ट मिलने पर मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी की संभावना थी। मगर, शाम छह बजे तक तीसरे चरण के संसदीय क्षेत्रों में झंझारपुर में 55.50 प्रतिशत मत पड़े।

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Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| दिव्यांगजन, बुजुर्ग, युवा वर्ग बढ़ चढ़कर वोट देने में तत्पर, फिर भी…

यह स्थिति तब जब, डीएम अरविंद कुमार वर्मा और एसपी सुशील कुमार स्वंय झंझारपुर समेत अन्य विधान सभा क्षेत्रों में मतदान केंद्रों का निरीक्षण लगातार करते रहे। मतदान केंद्रों पर सभी वर्गों के मतदाताओं की खासे उपस्थिति पंक्तिबद्ध देखा गई। युवा वर्ग बढ़ चढ़कर वोट देने में तत्पर दिखा। दिव्यांगजन व बुजुर्ग मतदाताओं को विशेष सुविधा से मतदान करवाया जा रहा था। आधी आबादी की खासी भीड़ पंक्तिबद्ध दिखी। बावजूद, अंत में झंझारपुर 55.50 प्रतिशत के साथ सुपौल 62.40 प्रतिशत, अररिया 62.80 प्रतिशत, मधेपुरा 61.00 प्रतिशत और खगड़िया 58.20 प्रतिशत मतदान के साथ वोट फीसद में पिछड़ गया।

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Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| आगे बताएंगें ऐसा कहां हुआ।

कई जगहों पर हकीकत और फंसाने देखते ही मिले। वास्तविक मतदाता गायब थे, उन्हें विलोपित कर दिया गया था। कई जगहों पर वास्तविक मतदाता मृत की सूची में थे। मर चुके थे। घोषित किए जा चुके थे। वहीं, कई जगहों पर एक दशक जिन्हें मरे हो चुके हैं। जीवित मिले। मतदाता सूची में दर्ज मिले। मतलब, जो जिंदा है, चुनाव से गायब। जो मर चुका चुनाव में मतदाता बना है। आगे बताएंगें ऐसा कहां हुआ।

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| लोकतंत्र को बचाने की जिद। सो, राबिया अड़ गई।

जानकारी के अनुसार, लखनौर प्रखंड में यह नजारा तमुरिया मध्य विद्यालय बूथ संख्या 183 पर दिखा। यहां, 91 साल की राबिया मुखिया पहुंची। इनके हाथ में पहचान पत्र के तौर पर आधार कार्ड था। साथ में मतदाता परिचय पत्र भी। लेकिन, जब वोटर सूची का मिलान हुआ। इनके क्रम संख्या, क्रमांक, गृह संख्या 109 के आगे डिलीटेड…यानि खत्म। कुछ नहीं। मगर, लोकतंत्र को बचाने की जिद। सो, राबिया अड़ गई। बाद में उन्हें दावा वोट का प्रपत्र भरना पड़ा। वहीं, बेलारही बूथ संख्या 109 पर अरुण कुमार दास…उसी कड़ी को आगे बढ़ाते मिले…। जहां…

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| मगर, वोटिंग के साथ राजनीतिक हलचल में अचानक एक कंकड़। उथल-पुथल।

झंझारपुर लोकसभा सीट। चुनाव खत्म। नतीजे का इंतजार। मगर, वोटिंग के साथ राजनीतिक हलचल में अचानक एक कंकड़। उथल-पुथल। बढ़ती सक्रियता, कम वोट फीसद के मायने तलाशते मतदाता। साख पर जिनकी गोटी, वह इसकी संभावनाओं की तलाश में। आखिर, समृद्धि से परिपूर्ण राजनीतिक इतिहास को विरासत में समेटने वाला। डॉ.जगन्नाथ मिश्र की जीत से मौजूदा राजनीतिक हालात को खुद में समेटे झंझारपुर आखिर चुनाव बाद कहां है। किस मोड़ पर है।

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Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| क्या यहां की नसीब, उसी ऊबड़-खाबड़ सड़क सरीखे है

क्या यहां की नसीब, उसी झंझारपुर-अंधराठाड़ी पथ के ब्राह्मण बहुल गांव महरैल से बेलौस होकर गुजरने वाली ऊबड़-खाबड़ सड़क सरीखे है। या, इस कम पड़े वोट फीसद के कुछ अलग-थलग मायने हैं। जो तलाशे जा रहे। संभावनाओं को टटोला जा रहा। यहां की जनता को वर्तमान राजनीति से भी बेहद उम्मीदें हैं। लेकिन, निराश्य भाव साफ हाथ मलता दिख रहा। लोगों ने, मतदाताओं ने संभावनाएं खोलीं।

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| 1972 में मधुबनी लोकसभा सीट से अलग होकर एक नए सीट के गठन के साथ झंझारपुर लोकसभा सीट का उदय हुआ…

झंझारपुर लोकसभा सीट का चुनावी परिदृश्य बदलने, लोग निकले। उनकी समझ बिल्कुल स्पष्ट और साफ थी। जहां, 1972 में मधुबनी लोकसभा सीट से अलग होकर एक नए सीट के गठन और झंझारपुर लोकसभा से खजौली, बाबूबरही, लौकही, फुलपरास, झंझारपुर, राजनगर विधानसभा सीट के मायने जरूर बदले।

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| लेकिन, 5 बार के प्रतिनिधित्व ने इनकी जरूरतों को कहां तक भरा। यह कहानी वहीं से जहां,

जहां, झंझारपुर के लोगों ने 1972 से आज तक 13 बार लोकसभा चुनाव की भागीदारी देकर, खुद के लिए एक नई राह चुनने की भरसकर हर बार कोशिश की। लेकिन, 5 बार पिछड़ा और 6 बार अतिपिछड़ा समाज के प्रतिनिधित्व ने इनकी जरूरतों को कहां तक भरा। यह कहानी वहीं से जहां, डॉ. जगन्नाथ मिश्र चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे। पहली बार, 2014 में बीजेपी यहां आई।

Jhanjharpur Lok Sabha Election| Madhubani News| वोटरों की रफ्तार तेज दिखी….शाम जाते-जाते…जोश को सुहाना मौसम, खुशगवारी की सर्दी लग गई….

मगर, चुनाव की मुद्दा विहीन व्यवस्था, इलाके का भला आज तक नहीं कर सकी। मधेपुर प्रखंड के चार पंचायत आज भी, नाव भरोसे है। बदहाली, फटेहाली, सुस्त विकास की रफ्तार का ही असर है, मंगल को जब वोटिंग शुरू हुए….वोटरों की रफ्तार तेज दिखी….शाम जाते-जाते…जोश को सुहाना मौसम, खुशगवारी की सर्दी लग गई….

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