क्या आपने कभी सोचा है कि एक देश का आर्थिक फैसला हजारों मील दूर बैठे देशों की अर्थव्यवस्था पर कितना बड़ा असर डाल सकता है? हाल ही में मेक्सिको ने एक ऐसा ही चौंकाने वाला कदम उठाया है, जिसने भारत समेत कई एशियाई देशों की नींद उड़ा दी है. यह सिर्फ एक टैरिफ वृद्धि नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है, जिसका सीधा असर आपके जेब पर पड़ सकता है.
मेक्सिको ने भारत सहित कई एशियाई देशों से आयात होने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत तक का भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. यह फैसला ऐसे समय आया है, जब अमेरिका पहले ही भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगा चुका है, जिसमें रूस से तेल खरीद को लेकर 25 प्रतिशत का जुर्माना भी शामिल है. मेक्सिको के इस कदम से वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ने की आशंका है.
मेक्सिको का नया टैरिफ: किन सामानों पर असर?
मेक्सिको की सीनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सरकार का दावा है कि इस टैरिफ वृद्धि का मुख्य उद्देश्य अपने स्थानीय उद्योगों को मजबूती प्रदान करना है. इस फैसले के तहत ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, कपड़े, प्लास्टिक और स्टील जैसे कई उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का आयात शुल्क लगाया जाएगा. इसके अतिरिक्त, अन्य कई सामानों पर भी टैरिफ को बढ़ाकर 35 प्रतिशत तक किया जा सकता है, जिससे इन क्षेत्रों से जुड़े व्यवसायों पर सीधा और गहरा असर पड़ेगा.
मेक्सिको सरकार का मानना है कि यह कदम सस्ते आयातों के कारण स्थानीय कंपनियों पर पड़ने वाले दबाव को कम करेगा और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा. हालांकि, यह उन निर्यातकों और स्थानीय व्यावसायिक समूहों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने इतनी बड़ी टैरिफ वृद्धि की उम्मीद नहीं की थी. टैरिफ बढ़ने से आयात की लागत काफी बढ़ जाएगी, जिसका असर उन देशों पर विशेष रूप से पड़ेगा जिनका मेक्सिको के साथ कोई मुक्त व्यापार समझौता (फ्री ट्रेड डील) नहीं है.
शुरुआती प्रस्ताव से मिली थोड़ी राहत, फिर भी विरोध जारी
हालांकि, मेक्सिको की सीनेट में पास हुए इस प्रस्ताव में पहले वाले ड्राफ्ट के मुकाबले थोड़ी नरमी बरती गई है. शुरुआती प्रस्ताव में लगभग 1,400 आयात लाइनों पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही गई थी, लेकिन नए प्रस्ताव में इनमें से दो-तिहाई पर शुल्क कम कर दिया गया है. इसके बावजूद, इस कदम का चीन और मेक्सिको के स्थानीय व्यापारिक समूहों ने कड़ा विरोध किया है.
यह टैरिफ वृद्धि मेक्सिको की व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है, खासकर इसलिए क्योंकि इसे आगामी यूनाइटेड स्टेट्स-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट (USMCA) की समीक्षा का सामना करना पड़ेगा, जो 1 जुलाई 2026 से शुरू होगी. इस विरोध और आगामी समीक्षा के बीच मेक्सिको का यह निर्णय उसकी वैश्विक व्यापार रणनीति पर कई सवाल खड़े करता है.
USMCA क्या है और इसका क्या होगा असर?
USMCA (यूनाइटेड स्टेट्स-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट) अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है, जो 1 जुलाई 2020 से लागू हुआ था. इस समझौते का मुख्य उद्देश्य इन तीनों देशों के बीच व्यापार को सुगम बनाना और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है.
समझौते के आर्टिकल 34.7 के अनुसार, हर छह साल में इसका रिव्यू होना अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह तीनों ही देशों के लिए फायदेमंद बना हुआ है. यदि समीक्षा में यह समझौता खरा उतरता है, तो इसे 2036 तक बढ़ाया जा सकता है. मेक्सिको की वर्तमान टैरिफ वृद्धि USMCA के भविष्य और इसकी समीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है.
भारत समेत इन देशों पर पड़ेगा बड़ा बोझ
मेक्सिको द्वारा टैरिफ बढ़ाने से आयात की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. इस वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव उन देशों पर पड़ेगा जिनका मेक्सिको के साथ कोई द्विपक्षीय व्यापार समझौता नहीं है. इस सूची में भारत के अलावा चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख एशियाई देश शामिल हैं.
इन देशों के निर्यातकों को मेक्सिको में अपने उत्पादों को बेचना अब और महंगा पड़ेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी. यह कदम वैश्विक सप्लाई चेन पर भी दबाव डाल सकता है और इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है.


