सरकार के आदेश से 90 प्रतिशत से अधिक दुकानों को बंद करने की नौबत आ गई है। ऐसे में हम लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। हड़ताल और आंदोलन के दौरान किसी भी मरीज को होने वाली कठिनाई के लिए सरकार और विभागीय प्रशासन जिम्मेदार होगा।
पटना, देशज टाइम्स। सरकार के एक आदेश के बाद दवा विक्रेताओं में हड़कंप मच गया है। बिहार राज्य औषधि नियंत्रण परिषद एवं प्रशासन ने लाइसेंसी दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद सभी थोक व फुटकर दवा विक्रेताओं ने एक सितंंबर से दवा की दुकानों को अनिश्चितकाल के लिए बंद रखने का एलान किया है।
बेगूसराय जिला केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव श्याम नंदन शर्मा ने बताया कि बिहार में फार्मासिस्ट की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। राज्य में करीब पांच हजार फार्मासिस्ट हैं, जबकि दवा दुकानों की संख्या 50 हजार से अधिक है। सिर्फ बेगूसराय में करीब छह हजार लाइसेंसी दुकानें हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार ने सभी दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले से ही लाइसेंसी दवा दुकानों में निरीक्षण के दौरान तकनीकी गलती निकाल कर दुकानदारों को परेशान किया जा रहा है। बीते साल से इसके कारण कई दवा दुकानें बंद हो गई हैं। तमाम शिकायतों के बाद सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही है, जिसके बाद उग्र आंदोलन का निर्णय लिया गया है।
मांगें पूरी नहीं होने पर 20 जुलाई से सभी थोक दवा विक्रेता किसी भी कंपनी से दवा की खरीद नहीं करेंगे। इसके बाद 16 अगस्त से सभी खुदरा विक्रेताओं ने भी थोक विक्रेता से दवा नहीं खरीदने का निर्णय लिया है। इसके बाद भी सरकार मांग पूरी नहीं करती है तो एक सितंबर से बेगूसराय समेत राज्य की सभी थोक एवं खुदरा दुकानें अनिश्चितकाल के लिए बंद हो
जाएंगी ।

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