Supreme Court | 26 साल पुराना फैसला बदल गया है। Supreme Court का Supreme फैसला सामने आ गया है। अब सदन में नोट के बदले वोट करने वाले सांसदों और विधायकों पर मुकदमा चलेगा। सदन में पैसे लेकर मतदान करने वाले सांसदों और विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना 26 साल पुराना फैसला बदल दिया है। साथ ही कहा है कि अब नोट के बदले वोट मामले में सीधी कार्रवाई होगी।
Supreme Court | सुप्रीम कोर्ट ने आज वोट के बदले नोट मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज वोट के बदले नोट मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने ही 26 साल पुराने फैसले को पलटते हुए सांसदों को राहत देने पर असहमति जताई है। कोर्ट ने कहा कि किसी को भी भ्रष्टाचार करने की छूट नहीं दी जा सकती है और न किसी को कानूनों का उल्लंघन करने का विशेषाधिकार नहीं है।
Supreme Court | सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने सोमवार को 26 साल पुराना फैसला पलट दिया है।
नोट लेकर सदन में वोट करने या सवाल पूछने वाले सांसदों या विधायकों को लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह की छूट देने से इंकार किया है।
SWAGATAM!
A great judgment by the Hon’ble Supreme Court which will ensure clean politics and deepen people’s faith in the system.https://t.co/GqfP3PMxqz
— Narendra Modi (@narendramodi) March 4, 2024
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने सोमवार को 26 साल पुराना फैसला पलट दिया है। 1998 में पांच जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने कहा था कि सदन के भीतर होने वाला कोई काम विशेषाधिकार के तहत आता है, इसके लिए मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है।
Supreme Court | बेंच ने कहा-संविधान के आर्टिकल 105 और 194 सदन के अंदर बहस और विचार-
बेंच ने कहा-संविधान के आर्टिकल 105 और 194 सदन के अंदर बहस और विचार-विमर्श का माहौल बनाए रखने के लिए हैं। दोनों अनुच्छेद का मकसद तब बेमानी हो जाता है, जब कोई सदस्य घूस लेकर सदन में वोट देने या खास तरीके से बोलने के लिए प्रेरित होता है। आर्टिकल 105 या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट हासिल नहीं है।
Supreme Court | रिश्वत लेने वाला आपराधिक काम में शामिल होता है।सांसदों का भ्रष्टाचार
रिश्वत लेने वाला आपराधिक काम में शामिल होता है। सांसदों का भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट कर देती है। हमारा मानना है कि संसदीय विशेषाधिकारों के तहत रिश्वतखोरी को संरक्षण हासिल नहीं है।
Supreme Court | देश में अगर विधायक और सांसद ही भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी करेंगे, तो वो
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि देश में अगर विधायक और सांसद ही भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी करेंगे, तो वो लोकतंत्र को नष्ट करने का काम करेंगे। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई संसद में सवाल पूछने या वोट देने के लिए पैसे लेता है, तो वो मुकदमे का सामना करने से छूट का दावा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोट देने या प्रश्न पूछने के लिए पैसे लेना भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देगा।
Supreme Court | CJI ने कहा अगर कोई घूस लेता है तो केस बन जाता है।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस ए एस बोपन्ना, एम एम सुंदरेश, पी एस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, संजय कुमार और मनोज मिश्रा की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच ने कहा- हम 1998 में दिए गए जस्टिस पीवी नरसिम्हा के उस फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट के लिए रिश्वत लेने पर मुकदमे से छूट दी गई थी।
Supreme Court | आरोप तभी बन जाता है, जिस वक्त कोई सांसद घूस स्वीकार करता है।
CJI ने कहा अगर कोई घूस लेता है तो केस बन जाता है। यह मायने नहीं रखता है कि उसने बाद में वोट दिया या फिर स्पीच दी। आरोप तभी बन जाता है, जिस वक्त कोई सांसद घूस स्वीकार करता है।