नई दिल्ली, देशज टाइम्स – केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए आगामी जनगणना 2025 (Census 2025) में जातिगत गणना (Caste Census) को शामिल करने की कैबिनेट मंजूरी दे दी है। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिया गया।
जातिगत आंकड़ों से होगा सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा: यह निर्णय सामाजिक संतुलन, पारदर्शिता और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इससे वंचित वर्गों को सशक्त करने की दिशा में ठोस नीति बनाई जा सकेगी। जाति आधारित विकास योजनाओं को मजबूती मिलेगी और आरक्षण जैसे मुद्दों पर ठोस डाटा उपलब्ध होगा।
Caste Census: कांग्रेस पर आरोप, 2010 में भी नहीं हुआ था वादा पूरा
वैष्णव ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा: कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल जातिगत जनगणना को राजनीतिक हथियार बना रहे हैं। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने लोकसभा में जातिगत गणना का वादा किया था, लेकिन इसे सिर्फ एक सर्वे के रूप में सीमित रखा गया। कैबिनेट समूह का गठन तो हुआ, लेकिन जनगणना में जाति का समावेश नहीं किया गया।
कई राज्यों ने की है अलग-अलग जातिगत गणना, बना भ्रम का माहौल
कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर जातिगत गणना कराई, लेकिन इसके मानक और पारदर्शिता एक समान नहीं थी। इससे सामाजिक भ्रम और आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए।
संविधानिक आधार: केंद्र का विषय है जनगणना
अनुच्छेद 246 की केन्द्रीय सूची के क्रम संख्या 69 के तहत जनगणना केंद्र का विषय है। इसलिए केंद्र सरकार का यह निर्णय संवैधानिक रूप से पूरी तरह वैध है।
OBC आरक्षण और EWS आरक्षण के संदर्भ में अहम कदम
इससे पहले भी मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10% आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम उठाया था। अब जातिगत जनगणना से OBC और अन्य जातियों की सामाजिक स्थिति का सटीक आंकलन किया जा सकेगा।
सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम
यह निर्णय केंद्र सरकार की समावेशी नीतियों और पारदर्शी प्रशासन की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है। आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े एकत्र होने से देश की नीति निर्माण प्रक्रिया अधिक तथ्यपूर्ण और न्यायपूर्ण हो सकेगी।