तूफान बन रहा ‘सूपर साइक्लोन’? हवाएं 119 किमी/घंटा –’यास’ और ‘सित्रांग’ के बाद अब नया तूफान – मौसम विभाग की बड़ी चेतावनी-तबाही तय? के बीच बंगाल की खाड़ी में ‘खतरनाक तूफान’ बन रहा है। आज ही तट से टकरा सकता है– मौसम विभाग की बड़ी चेतावनी यह है-बंगाल की खाड़ी में उठ रही तबाही की लहर! भारी बारिश और तेज हवाओं से जनजीवन अस्त-व्यस्त होने की आशंका है।@देशज टाइम्स।
बंगाल की खाड़ी में बना गहरा निम्न दबाव, चक्रवाती तूफान बनने की आशंका – तटीय क्षेत्रों में अलर्ट
देशज टाइम्स – भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की आरएसएमसी और सीडब्ल्यूसी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में बना गहरा निम्न दबाव क्षेत्र (Deep Depression) तेज़ी से पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश तट की ओर बढ़ रहा है।
गति और समय, गुरुवार को चेतावनी जारी
मौसम विभाग ने गुरुवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अरब सागर में पहले से ही साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना हुआ है। बंगाल की खाड़ी में हलचल देखने को मिल रही है। जल्द ही एक गहरे दबाव में बदलने की संभावना है, जिससे पूर्वी राज्यों में मौसम प्रभावित होगा। यह सिस्टम 29 मई की सुबह 8:30 बजे तक डिप्रेशन से गहरे निम्न दबाव में तब्दील हो चुका था। इसकी गति 20 किमी/घंटा है और यह उत्तर की ओर बढ़ रहा है।
तूफान में बदलने की संभावना
यह सिस्टम आज दोपहर तक सागर द्वीप (पश्चिम बंगाल) और खेपुपारा (बांग्लादेश) के बीच तट को पार कर सकता है। इसके एक गंभीर चक्रवाती तूफान (Severe Cyclonic Storm) में बदलने की संभावना जताई गई है। हवाओं की गति 89 से 119 किमी/घंटा तक हो सकती है। मौसमी गतिविधियों के कारण बिहार और झारखंड में भी बारिश और गरज-चमक की गतिविधि देखने को मिल सकती है।
बारिश और चेतावनी
पूर्वानुमान के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में 30 मई तक भारी से अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना है। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी गई है क्योंकि समुद्र की स्थिति बेहद खराब रहने वाली है।
तटीय इलाकों पर असर
पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों, खासकर साउथ 24 परगना और मिदनापुर, में तेज़ हवाओं, जलजमाव और फसल क्षति की आशंका है। पहले से जलवायु परिवर्तन और तटीय कटाव से जूझ रहे मछुआरा समुदायों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
पृष्ठभूमि: पहले के तूफानों से सीख
साल 2021 में साइक्लोन यास और 2022 में सित्रांग जैसी आपदाओं ने इस क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी। मछली सुखाने के स्थान, तटीय सड़कें और घरों की सुरक्षा आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।