मुंबई आतंकी हमलों (Mumbai Attacks) के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा अमेरिका से भारत आ चुका है। अब इसके दो पहलू निकल रहे। एक यह, सुरक्षा एजेंसियों की यह बड़ी सफलता है। दूसरा, सियासी। संजय राउत ने बड़ा दावा करके सबको चौंका दिया है कि- बिहार चुनाव जीतने के लिए तहव्वुर राणा को जल्द फांसी पर सरकार लटकाएगी।
अब राणा बिहार चुनाव के संदर्भ के चश्मे में
राणा को दिल्ली स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) मुख्यालय की हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है, जहां 8 जांच एजेंसियां उससे पूछताछ कर रही हैं। पूछताछ पूरी तरह से कैमरे की निगरानी में की जा रही है ताकि कानूनी प्रक्रिया पारदर्शी रहे। वहीं, अब राणा को बिहार चुनाव के संदर्भ में भी देखा जाने लगा है। जानिए क्यों?
संजय राउत का सरकार पर हमला
शिवसेना (उद्धव गुट) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया 16 साल पुरानी कानूनी लड़ाई का नतीजा है, जिसकी शुरुआत कांग्रेस शासन में हुई थी। राउत ने चेताया कि इसका श्रेय लेने की राजनीति नहीं होनी चाहिए। संजय राउत ने कहा,”तहव्वुर राणा को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए, लेकिन उन्हें बिहार चुनाव (इस साल के अंत में होने वाले) के दौरान फांसी दी जाएगी।
बिहार चुनाव से जोड़ने का आरोप
संजय राउत ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार तहव्वुर राणा को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक लाभ लेने के लिए फांसी दिलवा सकती है। उन्होंने कहा कि जनता की भावनाओं से खेलकर सरकार चुनावी लाभ उठाना चाहती है। राउत ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे अबू सलेम को भारत लाकर राजनीति में उपयोग किया गया था, वैसे ही राणा के मामले में भी खतरा है।
दाऊद इब्राहिम को लेकर आइए, जब तक बिहार का
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि ये लोग तहव्वुर राणा का फेस्टिवल मना रहें हैं। कहा, पकिस्तान के जेल में कुलभूषण जाधव सड़ रहा है, उसे लेकर आइए न। दाऊद इब्राहिम को लेकर आइए। जब तक बिहार का चुनाव होगा तब तक ये देश में तहव्वुर राणा फेस्टिवल मनाएंगे।
आर्थिक अपराधियों पर भी सख्ती की मांग
राउत ने मांग की कि सरकार को केवल आतंकवादियों पर नहीं, बल्कि आर्थिक अपराधियों पर भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे आर्थिक भगोड़ों को भारत लाने की अपील की।
निष्कर्ष: चुनावी हथियार बनाती है
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हो सकता है। लेकिन इस मुद्दे का चुनावी राजनीति में उपयोग होने की आशंका भी गहराती जा रही है। अब सभी की नजर इस बात पर है कि सरकार कानून के अनुसार निष्पक्ष कार्रवाई करती है या इसे चुनावी हथियार बनाती है।