नई दिल्ली। Supreme Court ने क्या कहा, क्या स्तन पकड़ना, पायजामे की डोरी तोड़ना, बलात्कार है या नहीं? (Supreme Court stayed the decision of Allahabad High Court)
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, कहा- कानून में इसकी कोई जगह नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े फैसले पर स्वतः संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट का यह आदेश आश्चर्य भरा है। यह आदेश कानून के सिद्धांतों से पूरी तरह अनभिज्ञ, असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है।
न्यायिक संवेदना के खिलाफ…तत्काल रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने कहा था कि स्तन पकड़ना या पायजामे की डोरी तोड़ना बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। इस फैसले के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक संवेदना के खिलाफ बताते हुए केंद्र और यूपी सरकार से जवाब मांगा।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में संवेदनशीलता की भारी कमी है।
चार महीने तक फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी यह फैसला आया, जो न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
फैसले के पैरा 21, 24 और 26 का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियों की कानून में कोई जगह नहीं।
‘वी द वुमन ऑफ इंडिया’ संगठन की आपत्ति
इस फैसले के खिलाफ महिला संगठन ‘वी द वुमन ऑफ इंडिया’ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की।
जस्टिस बी. आर. गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए केंद्र और यूपी सरकार से जवाब मांगा।
क्या कहा था इलाहाबाद हाईकोर्ट ने?
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने दो आरोपियों की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई की थी।
कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोप बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आते।
स्तन पकड़ना, पायजामे की डोरी तोड़ना और पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार का प्रयास) और पोक्सो अधिनियम की धारा 18 के तहत अपराध नहीं माने जा सकते।
क्या होगा आगे?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस तरह के फैसले समाज पर गलत प्रभाव डाल सकते हैं। अब केंद्र और यूपी सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा, जिसके बाद अगली सुनवाई होगी।