गैंगस्टर (Gangster) से राजनेता बने अतीक अहमद (Ateeq Ahmed) की हाल ही में 15 अप्रैल को गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इसके साथ ही उसका उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में उसका दशकों पुराना माफिया साम्राज्य (decades old mafia empire) ढह गया। मगर, इन दिनों चर्चा यही है जब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को अतीक अहमद (Ateeq Ahmed) से पंगा लेना पड़ा।
दरअसल, कुख्यात माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद का आतंक 44 साल से यूपी में चल रहा था। अतीक अहमद अच्छी जमीनों को सस्ते दामों में खरीद लेता था।
जमीन मालिक के नहीं मानने पर कब्जा कर लेता था। ऐसे ही 16 साल पहले यानी साल 2007 में अतीक ने प्रयागराज के पॉश इलाके में गांधी परिवार के रिश्तेदार की जमीन पर अपने गुर्गों के जरिए जबरन कब्जा कर लिया था।
जानकारी के मुताबिक, लखनऊ के पॉश सिविल लाइंस इलाके में एक संपत्ति के को लेकर माफिया डॉन की कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की रिश्तेदार वीरा गांधी (Veera Gandhi) से भी लड़ाई हुई थी। प्रयागराज में वीरा गांधी का परिवार सिविल लाइंस क्षेत्र स्थित पैलेस टॉकीज का मालिक है।
यह घटना 2007 की है। अतीक अहमद ने अपने गुर्गों के जरिए उस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। इस जमीन के आगे वीरा गांधी की पैलेस टॉकीज थी। उसे बंद करना पड़ गया था। इस समय अतीक अहमद समाजवादी पार्टी से फूलपुर का सांसद था।
जब वीरा गांधी को अतीक अहमद के इस कारनामे के बारे में पता चला तो उन्होंने तत्कालीन सपा सरकार और जिला प्रशासन से कार्रवाई करने की गुहार लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
इसके बाद वीरा गांधी दिल्ली के लिए रवाना हुईं और कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। उस सयम सोनिया गांधी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की अध्यक्ष थीं। उनकी दखल के बाद अतीक अहमद को जमीन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
रिपोर्ट में कहा है कि पूर्व महानिरीक्षक (आईजी) लालजी शुक्ला ने कहा कि वीरा गांधी के परिवार के पास प्रयागराज में कई जमीनें थीं। उन्होंने कहा, “अतीक जमीन पर कब्जा करना चाहता था क्योंकि यह पैलेस टॉकीज के पीछे स्थित थी।
उसने इसे एक प्रयोग के तौर पर आजमाया। अगर उसने जमीन पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया होता तो वह वीरा गांधी के परिवार के स्वामित्व वाली अन्य जमीनों पर भी कब्जा कर लेता।
आपको बता दें कि अतीक और उसके भाई अशरफ को पुलिस हिरासत में तीन शूटरों के द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गई। दोनों ही भाई 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल की हत्या के आरोपी थे। गैंगस्टर और उसके भाई की मौत के लिए तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।