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12 नवम्बर, 2024
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दुर्गापूजा SPECIAL: जब स्वप्न में आईं मां जयमंगला और कहा-मेरी फूल और बेलपत्र से पूजा करो, तभी से बन रही यह अनोखी प्रतिमा, पढ़िए क्या है मान्यता

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बेगूसराय में भगवती मां दुर्गा की भक्ति कर शक्ति पाने के महाव्रत शारदीय नवरात्र के नवम दिन श्रद्धालुओं ने सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना किया। सिद्धिदात्री की पूजा को लेकर रात से ही तमाम दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है।

यह है महात्म

जिले के सिद्ध शक्तिपीठ जयमंगलागढ़, बखरी पुरानी दुर्गास्थान, लखनपुर दुर्गास्थान, भवानंदपुर दुर्गास्थान, बहदरपुर दुर्गास्थान सहित सभी देवी मंदिरों में खोईछा भरने के लिए महिलाओं की भीड़ लगी हुई है।

विक्रमपुर में फूल और बेलपत्र से बनाई गई प्रतिमा, सिद्धिदात्री की पूजा करने उमड़ी भीड़
विक्रमपुर में फूल और बेलपत्र से बनाई गई प्रतिमा, सिद्धिदात्री की पूजा करने उमड़ी भीड़

बखरी सहित कई जगहों पर रोक के बावजूद बलि प्रदान करने की प्रक्रिया चल रही है। जिला भर के तमाम दुर्गा मंदिरों के अलावा हजारों घर में नवमी तिथि को भगवती के नवम स्वरूप की पूजा-अर्चना के बाद हवन, कुमारी कन्याओं का पूजन और भोजन कराया गया।

मंझौल अनुमंडल के विक्रमपुर गांव में अन्य वर्षो की तरह फूल और बेलपत्र से भगवती के नौवें स्वरूप की प्रतिमा बनाई गई है। यहां लंबे समय से शारदीय नवरात्र में प्रत्येक दिन माता भगवती के अलग-अलग स्वरूपों की प्रतिमा फूल और बेलपत्र से बनाकर पूजा अर्चना की जाती है। रोज मां की आकृति बनाने के लिए फूल-बेलपत्र इकट्ठा करने के लिए गांव वालों का उत्साह देखते ही बनता है।

मां की आकृति के साथ वैदिक रीति से होने वाली पूजा देखने के लिए श्रद्धालु यहां दूर- दूर से पहुंचते हैं। ग्रामीणों के अनुसार करीब सवा सौ वर्ष पूर्व जयमंगलागढ़ में बलि प्रदान करने को लेकर पहसारा और विक्रमपुर गांव के जलेबारों में ठन गई थी, दोनों एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए थे।

इसी दौरान नवरात्र के समय विक्रमपुर गांव के सरयुग सिंह के स्वप्न में मां जयमंगला आई और कहा कि नवरात्र के पहले पूजा से लेकर नवमी पूजा के बलि प्रदान करने तक मैं विक्रमपुर गांव में रहूंगी, इसके बाद गढ़ को लौट जाऊंगी।

देवी ने कहा था अपने हाथों से फूल, बेलपत्र तोड़कर आकृति बनाकर पूजा करने एवं धूप और गुग्गुल से पूजा करो। उसी समय से यहां पर विशेष पद्धति से पूजा प्रारंभ हुई और आज भी सरयुग सिंह के वंशज पूजा करते आ रहे हैं।

कलश स्थापन के दिन स्व. सिंह के वंशज मिलकर मंदिर में कलश की स्थापना करते हैं। रोजाना अपने हाथों से तोड़े गए फूल-बेलपत्र की आकृति बनाकर पूजा करते हैं। कालांतर में परिवार के विस्तार होने के कारण पहली पूजा तीन खुट्टी खानदान के चंदेश्वर सिंह करते हैं।

दूसरी पूजा पंचखुट्टी के सुशील सिंह द्वारा तथा शेष सभी पूजा नौ खुट्टी के राजेश्वर सिंह, परमानंद सिंह, कृत्यानंद सिंह, मोहन सिंह, नीरज सिंह, शंभू सिंह, नंदकिशोर सिंह, लाला जी, रामकुमार सिंह, पुष्कर सिंह, विश्वनाथ सिंह वगैरह करते हैं।

यहां आज गुरुवार को नवमी पूजन के साथ ही नवरात्र पूजन समाप्त हो गया। फिलहाल बेगूसराय का कोना कोना मां भगवती के भक्ति में लीन हो गया है।

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