Kosi Erosion: Kosi का कहर हर साल आता है, अपने निशान छोड़ जाता है। लेकिन उन निशानों को भरने की सरकारी कोशिशें अक्सर इतनी धीमी होती हैं कि पीड़ितों का धैर्य जवाब दे जाता है।
सुपौल में गहराया संकट: Kosi Erosion के शिकार हुए लोगों को अब तक नहीं मिला मुआवजा, आंदोलन की चेतावनी
Kosi Erosion: प्रशासनिक उदासीनता का भयावह चेहरा
बिहार के सुपौल जिले में Kosi नदी के कटाव से विस्थापित हुए लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। लंबे समय से ये बाढ़ पीड़ित मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते उन्हें अब तक उनका हक नहीं मिल पाया है। इस गंभीर समस्या को लेकर अब स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है और उन्होंने प्रशासन के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
Kosi नदी हर साल हजारों परिवारों को बेघर कर देती है, उनकी जमीन और घर-बार सब कुछ लील जाती है। ऐसे में इन विस्थापितों के लिए सरकारी सहायता ही एकमात्र सहारा होती है, लेकिन जब यह सहायता भी समय पर न मिले, तो उनकी स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों से मिलकर अपनी गुहार लगाई है, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है, ठोस कार्रवाई नहीं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मुआवजे में देरी और पीड़ितों का आक्रोश
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले में अपनी चिंता व्यक्त की है और सरकार से जल्द से जल्द पीड़ितों को मुआवजा राशि उपलब्ध कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह आक्रोश बड़े जन आंदोलन का रूप ले सकता है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। यह केवल मुआवजे की बात नहीं, बल्कि उन परिवारों के पुनर्वास और सम्मान से जुड़े जीवन का सवाल है जो Kosi के कहर से सब कुछ गंवा चुके हैं।




