भाजपा के कद्दावर नेता और योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक उत्तराधिकारी रहे स्व. उपेन्द्रदत्त शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ल ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी (samajwadi party) का दामन थाम लिया। उनके दोनों बेटों के साथ सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में इस कुनबे को सपा ज्वाइन कराई गई।
दुधारी तलवार पर बैठे सपा मुखिया अखिलेश यादव
उधर, भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद भी गोरखपुर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ (cm yogi from gorakhpur) के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में अब सपा मुखिया अखिलेश यादव दुधारी तलवार पर बैठे दिखाई दे रहे हैं। गोरखपुर में चल रही कयासबाजी के मुताबिक सुभावती शुक्ला को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ (bjp leader upendra shukla wife shubhawai shukla) चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
अब सवाल यह है कि यदि सुभावती शुक्ला को सीएम योगी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी है तो सीएम योगी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का समर्थन कैसे होगा? अखिलेश यादव अब सीएम योगी के खिलाफ खड़े चंद्रशेखर को समर्थन देंगे या सुभावती शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाकर सबको चौंकाएंगे। फिलहाल समाजवादी पार्टी ने अभी तक इस सीट उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।

गुरुवार को चिल्लुपार से विधायक विनय शंकर तिवारी के साथ पूर्व भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और योगी आदित्यनाथ के राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में गोरखपुर सीट से लोकसभा उपचुनाव के पूर्व प्रत्याशी स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला, अपने पुत्र अमित दत्त शुक्ला एवं अरविंद दत्त शुक्ला के साथ लखनऊ में पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका पार्टी में अभिनंदन किया। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2018 में गोरखपुर संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने उपेंद्र दत्त शुक्ला को मैदान में उतारा था। तब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे प्रवीण निषाद (निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र और वर्तमान में संतकबीरनगर से भाजपा के सांसद) ने उन्हें हरा दिया था।
वर्ष 2019 में भाजपा ने उपेन्द्र शुक्ल की जगह भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन शुक्ल को मैदान में उतारा था। रविकिशन शुक्ल विजयी रहे। वर्ष 2020 में उपेन्द्र शुक्ल का निधन हो गया। फिलहाल वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी पहली सूची में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है। यह सीट परम्परागत रूप से भाजपा और गोरखनाथ मंदिर का गढ़ रही है। जिस पर पिछले 33 वर्षों से भगवा रंग चढ़ा हुआ है।
ऐसे में, आदित्यनाथ के गोरखपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान हो चुका है। समाजवादी पार्टी ने अभी तक इस सीट उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है लेकिन अब चर्चा है कि वह भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे उपेन्द्र शुक्ल की पत्नी को यहां से मैदान में उतार सकते हैं। उपेन्द्र शुक्ल का 2020 में निधन हो गया था। गुरुवार को उनकी पत्नी शुभावती शुक्ला, पुत्र अरविंद दत्त शुक्ला और अमित दत्त शुक्ला ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन कर ली।

2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2018 में गोरखपुर संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा था। तब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे प्रवीण निषाद (निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के पुत्र और वर्तमान में संतकबीरनगर से भाजपा के सांसद) ने उन्हें हरा दिया था। 2019 में भाजपा ने उपेन्द्र शुक्ल की जगह भोजपुरी फिल्म स्टार रविकिशन शुक्ल को मैदान में उतारा था।
रविकिशन शुक्ल उस चुनाव में विजयी रहे। 2020 में उपेन्द्र शुक्ल का निधन हो गया। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी पहली सूची में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर सीट से लड़ने का ऐलान किया है। यह सीट परम्परागत रूप से बीजेपी और गोरखनाथ मंदिर का गढ़ रही है। इस सीट पर पिछले 33 वर्षों से भगवा का कब्जा है।
इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष दिवंगत उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी सुभावती शुक्ल ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात की थी। अखिलेश से मुलाकात के दौरान सुभावती के दोनों बेटे भी मौजूद थे।
भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले उपेंद्र दत्त शुक्ला गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मंडल में पार्टी का ब्राह्मण चेहरा थे। लंबे समय तक संगठन की सेवा करने वाले उपेंद्र दत्त विभिन्न पदों पर रहे। कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे।
आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर लोकसभा सीट पर वर्ष 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने उपेंद्र दत्त शुक्ल को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने उनको पराजित कर दिया था। आदित्यनाथ की परंपरागत सीट से भाजपा की हार के बाद उपेंद्र दत्त शुक्ला सक्रिय राजनीति से दूर होते गए। इस बीच डेढ़ साल पहले उपेंद्र दत्त की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई।