दरभंगा में बर्बादी की स्कीम? एकमी से किला घाट तक स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज में गंदा नाला जोड़ने का बड़ा खुलासा। 68 लाख हेक्टेयर जमीन फिर डूबी, अब शहरों की बारी!तालाब बचाओ अभियान का बड़ा खुलासा – दरभंगा (Storm Water Drainage Bihar) में स्टॉर्म वाटर स्कीम तबाही लाएगी! बाढ़ रोकने के नाम पर 3400 KM तटबंध, फिर भी डूबे 68 लाख हेक्टेयर! किसका दोष?@ दरभंगा,देशज टाइम्स।
तालाब बचाओ अभियान ने उठाई आवाज: स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज निर्माण पर रोक लगाने की मांग, NGT आदेशों का दिया हवाला
दरभंगा में 2 फीट ऊंची स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज! एकमी से किलाघाट सड़क के किनारे सड़क के लेवल से 2 फिट ऊंचा स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज़ का निर्माण लेकर आएगा तबाही। 20 शहर जलजमाव की कगार पर? IIT प्रोफेसरों से जांच की मांग!@ दरभंगा,देशज टाइम्स।
स्टॉर्म ड्रेनेज बना कानून का उल्लंघन – शहर के पोखर और झील खतरे में!
स्टॉर्म ड्रेनेज बना कानून का उल्लंघन – शहर के पोखर और झील खतरे में! बारिश का पानी सीधा बाहर – भविष्य में पीने का भी नहीं बचेगा पानी? NGT आदेशों की उड़ाई धज्जियां! स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज में गंदा नाला जोड़ने का बड़ा खुलासा@ दरभंगा,देशज टाइम्स।
शहरी विकास योजना से दरभंगा समेत 20 शहरों के पर्यावरणीय संतुलन पर खतरे की आशंका, जल-जमाव और जल-संकट को बताया बड़ा खतरा
दरभंगा, देशज टाइम्स। तालाब बचाओ अभियान, दरभंगा ने शहरी विकास एवं आवास विभाग की ओर से चल रहे स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज निर्माण कार्य पर गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे विनाशकारी और अवैज्ञानिक करार दिया है। अभियान के संयोजक नारायण जी चौधरी ने विभाग को एक पत्र भेजकर इस योजना पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
ड्रेनेज का लेवल सड़क से ऊंचा, बारिश में जलजमाव तय
अभियान के अनुसार, एकमी से किलाघाट रोड पर स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज का निर्माण सड़क लेवल से 2 फीट ऊंचा किया जा रहा है। इससे बारिश के दौरान जल निकासी असंभव हो जाएगी और तीन से चार महीने तक शहर डूबा रहेगा।
बाढ़ नियंत्रण का इतिहास भी हुआ उजागर
पत्र में 1954 से 2014 तक 3400 किमी तटबंध निर्माण के बावजूद बिहार में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 25 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 68 लाख हेक्टेयर हो जाने का हवाला दिया गया है। इसे जल संसाधन विभाग की असफलता बताते हुए शहरी योजनाओं को भी ऐसा ही विनाशकारी बताया गया है।
कानूनी उल्लंघन और NGT आदेशों की अनदेखी
अभियान ने बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 198 का हवाला देते हुए बताया कि स्टॉर्म वाटर और सीवेज नाला अलग रखने का स्पष्ट आदेश है, लेकिन नगर निगम दोनों को एक साथ मिला रहा है, जो कानूनी उल्लंघन है। धारा 249(f) के अनुसार पोखर, झील और जलाशयों का संरक्षण नगर निगम का कर्तव्य है, लेकिन ड्रेनेज योजना इन जलस्रोतों को खत्म कर रही है। हाजी आरीफ बनाम यूपी सरकार सहित NGT के कई आदेशों का भी उल्लेख कर यह साबित किया गया है कि यह योजना पर्यावरणीय कानूनों की अवहेलना कर रही है।
IIT विशेषज्ञों की टीम बनाकर जांच की मांग
संयोजक नारायण जी चौधरी ने मांग की कि चार-पांच IIT प्रोफेसरों का एक कंसोर्टियम बनाकर योजना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही दोषी अधिकारियों और अभियंताओं पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।