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Paras Sinha with Arya
ज़ख्म, आंसू, चीत्कार, पुकार अब पर्दों पर बोल रहा… पारस सिन्हा आर्य के साथ
परचा-परचा उघड़ चुका,
दफ़न,सच, हवाओं में घुल चुका। ज़ख्म, आंसू, चीत्कार, पुकार अब पर्दों पर बोल रहा,
फिर आंखें पनीली लाल हुईं,
लहू पंडितों का है खौल रहा।सनातन...