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15 अगस्त, 2024
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Paras Sinha with Arya

ज़ख्म, आंसू, चीत्कार, पुकार अब पर्दों पर बोल रहा… पारस सिन्हा आर्य के साथ

परचा-परचा उघड़ चुका, दफ़न,सच, हवाओं में घुल चुका। ज़ख्म, आंसू, चीत्कार, पुकार अब पर्दों पर बोल रहा, फिर आंखें पनीली लाल हुईं, लहू पंडितों का है खौल रहा।सनातन...

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