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30 अप्रैल, 2024
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Darbhanga News|Kamtaul News| इंद्र की अमृत…आद्रा नक्षत्र@मगर है खेतों का रंगत उतरा-उतरा

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आंचल कुमारी। Darbhanga News|Kamtaul News| इंद्र की अमृत…आद्रा नक्षत्र@मगर है खेतों का रंगत उतरा-उतरा। जहां, इस बार आद्रा नक्षत्र में बारिश होने की संभावना काफी कम। यह आशंका पहले ही ज्योतिष गणना में सामने आया था। जहां, आद्रा नक्षत्र में भगवान इंद्र की पूजा का विधान है। मकसद यही है, इंद्र प्रसन्न हों। बारिश के अमृत सूखे खेतों पर बरसाएं। धरती की उर्वरता व हरियाली बढ़ें। आद्रा नक्षत्र को किसानों का सहयोगी भी माना जाता है। यह भी मान्यता है, आद्रा बारिश के बाद ही धान की खेती की शुरुआत होती है। मगर, इसबार बारिश तो हुई लेकिन खेतों में इसका रंगत उतरा-उतरा दिखा। आर्द्रा नक्षत्र की बारिश से किसानों के चेहरे खिलकर भी मुरझा गए हैं।

जय बाबा केदार..!

 

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Darbhanga News|Kamtaul News|जहां, आर्द्रा नक्षत्र बीत चुका है। बारिश हुई भी है। शुरूआत ही कमतौल में सबसे अधिक बारिश से हुई। मगर,

जहां, आर्द्रा नक्षत्र बीत चुका है। बारिश हुई भी है। शुरूआत ही कमतौल में सबसे अधिक बारिश से हुई। मगर, किसी भी दिन हुई बारिश का पानी खेतों में ठहरा नहीं दिखा। हालात यह है, खेतों में पानी दिखाई नहीं दे रहा। ऐसे में, धान की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हैं। धान की नर्सरी खेतों में लहलहा रही है। कुछ मेहनत कश किसान सूखे खेतों में ही धान की रोपाई कर रहे हैं। मगर, सूखे की स्थिति बनी हुई है। किसान बेहाल हैं।

Darbhanga News| Kamtaul News| हो सकता है भींगती आंखों में स्वप्न ख्वाब जाग जाए…ये बारिश का मौसम

अहियारी गांव के जानकी रमण ठाकुर, दिलीप ठाकुर समेत अन्य किसानों ने बताया कि पिछले साल इस समय तक आधा से अधिक खेतों में रोपनी करवा लिए थे। इस साल अभी तक बारिश नहीं के बराबर हुई है। इस कारण पांच-सात कट्ठा में ही खेती कर पाए हैं। वह भी सूखे खेत में ही रोपाई इस आशा से कर दिए हैं कि हो सकता है कि आगे चलकर बारिश हो जाए तो कुछ आंसू पोछाई हो जाए।

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Darbhanga News| Kamtaul News| इतनी कम बारिश पांच-दस साल में कभी नहीं हुई

गिरबल महतो का कहना है कि पहले 22 जून को बारिश शुरू हो जाती थी और अब तक धान की रोपाई का कार्य समाप्त होने के कगार पर होता था। धान में नए कल्ले निकलने शुरू हो जाते थे। इस साल तो कभी लगा ही नहीं कि यह बरसात का मौसम है। इतनी कम बारिश पांच-दस साल में कभी नहीं हुई थी। कुछ किसानों ने नलकूपों से पटवन कर धान की रोपाई कर दिया है। वह छुट्टा पशुओं का निवाला बन जा रहा है।

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