दरभंगा। दरभंगा एयरपोर्ट पर एप्रॉन (Apron) और टू लिंक टैक्सीवेज का निर्माण जल्द ही शुरू होने जा रहा है, जिससे एयरपोर्ट की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है। यह परियोजना हायाघाट में स्थित अशोक पेपर मिल की 330 एकड़ खाली जमीन पर स्थापित की जाएगी, जिससे विमान संचालन में तेजी आएगी और यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ
- भूमि और फंडिंग:
- भूमि क्षेत्र: 330 एकड़
- आवंटित फंड: ₹3.41 लाख
- समयसीमा: कार्य पूरा करने के लिए 25 दिन का समय दिया गया है।
- निर्माण प्रक्रिया:
- कार्य निष्पादन से पूर्व मिट्टी की जांच की जाएगी।
- निविदा प्रक्रिया: एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा निविदा निकाली गई है।
- सिविल वर्क: एप्रॉन और टैक्सीवेज का निर्माण पूरा होने के बाद सिविल वर्क शुरू किया जाएगा।
- तकनीकी विशेषताएँ:
- एप्रॉन क्षमता: वर्तमान में केवल 2 विमान ही ठहर सकते हैं, जिसे बढ़ाकर 7 विमानों तक किया जाएगा।
- टैक्सीवेज: रनवे को एप्रॉन, हैंगर, टर्मिनल और अन्य सुविधाओं से जोड़ने के लिए टैक्सीवेज का निर्माण किया जाएगा, जिससे विमान तेजी से रनवे से बाहर निकल सकेंगे।
वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
एप्रॉन क्षमता की कमी: वर्तमान में, दरभंगा एयरपोर्ट पर केवल दो विमानों की ठहरने की व्यवस्था है, जिससे फ्लाइट की लेटलटीफी (लेट एयरक्राफ्ट) में समस्या उत्पन्न हो रही है। जब तक एप्रॉन से विमान को खाली नहीं कराया जाता, तब तक दूसरे विमान को उतरने की अनुमति नहीं दी जाती, जिससे यात्रियों को असुविधा हो रही है।
फायर ब्रिगेड की समस्या: छोटी गाड़ियों की आवाजाही में कमी के साथ-साथ बड़े ट्रक और बसें भी सड़कों पर कम ही देखे जाते हैं। यह स्थिति विशेष रूप से उन सड़कों पर प्रभावित हो रही है जहाँ पेड़-पौधों की कमी है, जिससे तेज पछिया हवाओं का सामना करना पड़ रहा है।
परियोजना के लाभ
- बेहतर विमान संचालन:
- एप्रॉन का विस्तार होने से एक साथ सात विमान एयरपोर्ट पर ठहर पाएंगे, जिससे फ्लाइट की लेटलटीफी में कमी आएगी।
- टैक्सीवेज बनने से विमान तेजी से रनवे से बाहर निकल सकेंगे, जिससे अन्य विमानों को उतरने या उड़ान भरने में समय की बचत होगी।
- यात्रियों की सुविधा:
- फ्लाइट की समय पर उड़ान और लैंडिंग से यात्रियों को असुविधा कम होगी।
- विमान के तेज़ संचालन से यात्रियों का टाइमटेबल बेहतर रहेगा।
- भविष्य की योजना:
- अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने पर विमानों की संख्या में वृद्धि होगी, जिसके लिए प्रस्तावित जमीन पर एप्रॉन की क्षमता और बढ़ाई जाएगी।
- तीन और जहाजों के ठहराव के लिए अतिरिक्त जगह छोड़ी जाएगी।
प्रमुख अधिकारियों का बयान
हायाघाट विधायक डॉ. रामचंद्र प्रसाद ने कहा, “यह परियोजना न केवल एयरपोर्ट की कार्यक्षमता बढ़ाएगी, बल्कि दरभंगा और मुजफ्फरपुर के बीच की कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगी। इससे क्षेत्रीय विकास को नई दिशा मिलेगी।”
आईआईटी चेन्नई के वाइस प्रेसिडेंट विपुल भल्ला ने निरीक्षण के दौरान कहा, “ड्रोन निर्माण संयंत्र की स्थापना से तकनीकी क्षेत्र में नई संभावनाएं खुलेंगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है।”
समाप्ति
दरभंगा एयरपोर्ट पर एप्रॉन और टैक्सीवेज का विस्तार होने से न केवल विमान संचालन में सुधार आएगा, बल्कि यात्रियों को भी बेहतर सुविधाएं प्राप्त होंगी। यह परियोजना दरभंगा को एक आधुनिक और प्रभावी हवाई अड्डा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बिहार के स्वास्थ्य और आर्थिक विकास में भी योगदान देगा।
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