दरभंगा के डॉ. धीरज पांडेय को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, संस्कृत में रचा इतिहास! संस्कृत में देश का सिर ऊंचा किया! डॉ. धीरज पांडे को मिला साहित्य अकादमी युवा सम्मान। काशी से दरभंगा तक की मेधा यात्रा! डॉ. पांडेय को मिला राष्ट्रीय साहित्य सम्मान। महामना अवार्ड से लेकर अकादमी पुरस्कार तक – डॉ. धीरज ने रचा प्रेरणा का इतिहास।@दरभंगा,देशज टाइम्स।
साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 के लिए डॉ. धीरज कुमार पांडेय का चयन, दरभंगा और मिथिला को मिला गौरव
संस्कृत में पांच ग्रंथ, अब साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार! डॉ. पांडे की अद्भुत सफलता। प्रधानमंत्री मोदी से चांसलर मेडल, अब साहित्य अकादमी पुरस्कार – जानिए कौन हैं डॉ. धीरज पांडेय। संस्कृत दर्शन के शोध में बेमिसाल योगदान – मिथिला के लाल को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार@दरभंगा,देशज टाइम्स।
संस्कृत कृति “पारिभाषिकशब्दस्वारस्यम्” पर मिला प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल चुका है चांसलर मेडल
दरभंगा,देशज टाइम्स। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दर्शन विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज कुमार पांडेय को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 के लिए चयनित किया गया है। यह सम्मान उन्हें उनकी संस्कृत आलोचनात्मक गद्य पुस्तक “पारिभाषिकशब्दस्वारस्यम्” के लिए दिया जा रहा है।
पहले जानिए डॉ.धीरज कुमार पांडेय को: (Highlights)
पुरस्कार: साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025| पुस्तक: “पारिभाषिकशब्द स्वारस्यम्” (संस्कृत, वेदांत दर्शन पर)| लेखक: डॉ. धीरज कुमार पांडेय, दर्शन विभागाध्यक्ष, KSD संस्कृत विश्वविद्यालय| सम्मान की घोषणा: साहित्य अकादमी, नई दिल्ली| पहले भी प्रधानमंत्री से चांसलर मेडल, राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त| संस्कृत में राष्ट्रीय स्तर पर विद्वानों द्वारा सराहना|
संस्कृत में उल्लेखनीय योगदान
बुधवार को साहित्य अकादमी ने इस पुरस्कार की घोषणा की। डॉ. पांडे की यह कृति वेदांत दर्शन के पारिभाषिक शब्दों पर केंद्रित है, जो अपनी विशिष्टता के लिए चर्चित रही है।
पुरस्कार की घोषणा तीन सदस्यीय निर्णायक मंडल — प्रो. सी.पी. सत्यनारायण, प्रो. कुंजन आचार्य, एवं प्रो. उमा वैद्य — की सिफारिश पर साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा की गई। इस वर्ष डोगरी भाषा को छोड़कर 23 भाषाओं में युवा पुरस्कार की घोषणा की गई है।
डॉ. पांडेय की शैक्षणिक और साहित्यिक उपलब्धियां
मूल निवासी: ग्राम बलेउर, तहसील सहतवार, जिला बलिया (उ.प्र.), 2014: JRF प्राप्त। 2015: महामना संस्कृत अवार्ड (काशी हिंदू विश्वविद्यालय), 2015: चांसलर मेडल — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित। 2022: “मूल्यपरा प्रस्थानत्रयी” पुस्तक को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ द्वारा पुरस्कृत। अब तक 5 पुस्तकें प्रकाशित, कई अन्य लेखन कार्य प्रगति पर। ऑनलाइन दर्शन ग्रंथों का विस्तारपूर्वक अध्यापन।
डाॅ. पांडेय का प्रेरणादायक संदेश
डॉ. पांडेय ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, भगवान विश्वनाथ, तथा मां उग्रतारा व महिषासुर मर्दिनी की कृपा को दिया है। उन्होंने कहा:
“सफलता के लिए लक्ष्य का स्पष्ट निर्धारण आवश्यक है। अखंड चिंतन और प्रचंड परिश्रम से ही सफलता संभव है। लेखक को व्याकरण, सिद्धांत, और पदलालित्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मिथिला की भूमि केवल ऐतिहासिक नहीं, दार्शनिक और सांस्कृतिक उन्नयन की भी भूमि रही है।“
विश्वविद्यालय में हर्ष की लहर
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय परिवार ने डॉ. पांडेय की इस उपलब्धि पर गौरव और प्रसन्नता जताई है। पीआरओ निशिकांत ने जानकारी दी कि यह उपलब्धि दरभंगा, मिथिला और समग्र संस्कृत साहित्य जगत के लिए गर्व का विषय है।