

कुशेश्वरस्थान पूर्वी | विधानसभा चुनाव के बीच सुघराईन पंचायत के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर प्रशासन को चुनौती दे दी है। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है — “जब तक सड़क नहीं बनेगी, वोट नहीं देंगे।”
सड़क के अभाव में नाव ही एकमात्र सहारा
ग्रामीणों ने बताया कि गांव से बाहर निकलने का एकमात्र साधन नाव है। बारिश के मौसम में नदी उफान पर रहती है, जिससे आवाजाही लगभग ठप हो जाती है।
गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को समय पर अस्पताल नहीं ले जाया जा सकता, जिससे कई बार जान का जोखिम उठाना पड़ता है।
ग्रामीणों का आक्रोश और दर्द
78 वर्षीय जाजा देवी ने कहा —
“हमर उमर 78 बरस भ’ गेल, अबो नावे से जाए परै छै। डर लागै छै कि कखन नाव डूब जायत।”
वहीं रामसखी देवी, सतीश राय, गणेश राय, राहुल राय सहित दर्जनों ग्रामीणों ने कहा कि
“जब तक रोड नहीं बनेगा, वोट नहीं देंगे — रोड नहीं तो वोट नहीं!”
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द सड़क नहीं बनी, तो वे लोकसभा चुनाव में भी मतदान का बहिष्कार करेंगे।
प्रशासन के प्रयास नाकाम
सीओ गोपाल पासवान, बीडीओ प्रभा शंकर मिश्रा, और जीविका की अन्नू कुमारी ने बूथ पर पहुंचकर ग्रामीणों को मतदान के लिए समझाने की कई कोशिशें कीं, लेकिन ग्रामीण नहीं माने।
बूथ संख्या 284, 285, 286 और 287 पर सुबह 7 बजे से पोलिंग पार्टी तैनात रही, लेकिन ग्रामीणों ने वोट नहीं डाला।
गांव की हालत पर सवाल
ग्रामीणों ने कहा —
“सरकार कहती है कि हर गांव में सड़क और पुल बन चुके हैं, लेकिन क्या नाव से नदी पार करना विकास है?”
सुघराईन पंचायत के ग्रामीणों का “रोड नहीं तो वोट नहीं” आंदोलन चुनावी माहौल में प्रशासन के लिए एक बड़ा संदेश है — कि विकास के वादे अब जमीन पर दिखने चाहिए।








