दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। मानवजाति को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए दुर्लभ वस्तुओं को सहेजकर रखने की जरूरत है। समाज के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक,सामाजिक विरासत को सहेजने का काम संग्रहालय करते हैं। अपने इतिहास को समेटने का कार्य करती है यह संग्रहालय। किसी भी देश, समाज के इतिहास का आइना होता है यह संग्रहालय।
यह बात सोमवार को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर इंटेक दरभंगा चैप्टर के संयोजक सह विश्वविद्यालय के लोक सूचना पदाधिकारी डॉ. प्रो. नवीन कुमार अग्रवाल ने कही।
इंटेक दरभंगा चैप्टर के संयोजक सह विश्वविद्यालय के लोक सूचना पदाधिकारी प्रो. श्री अग्रवाल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (IMD) का उद्देश्य इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना है कि, संग्रहालय सांस्कृतिक आदान-प्रदान, संस्कृतियों के संवर्धन और लोगों के बीच आपसी समझ, सहयोग और शांति के विकास का एक महत्वपूर्ण साधन हैं।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस आयोजित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने की योजना और गतिविधियां एक दिन, एक सप्ताह के अंत या पूरे सप्ताह तक चल सकती हैं। आईएमडी 40 साल पहले पहली बार मनाया गया था। दुनिया भर में, अधिक से अधिक संग्रहालय अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस में भाग लेते हैं। पिछले साल, लगभग 158 देशों और क्षेत्रों में 37,000 से अधिक संग्रहालयों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया था।
प्रो.अग्रवाल ने कहा कि संग्रहालय के लिए समानता: विविधता और समावेश” विषय के साथ, अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2020 का उद्देश्य दोनों दृष्टिकोणों की विविधता का जश्न मनाने के लिए एक रैली बिंदु बनना है जो संग्रहालयों के समुदायों और कर्मियों को बनाते हैं, और पूर्वाग्रह की पहचान करने और उन पर काबू पाने के लिए चैंपियन टूल वे प्रदर्शित करते हैं और वे कहानियां सुनाते हैं।
कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से आम लोंगो को अपने धरोहरों के प्रति जागरूक करना है। ऐसे कार्यक्रम से दुर्लभ वस्तुओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। दरभंगा के चारों ओर का इलाका ऐसी वस्तुओं से भरा हुआ है। दरभंगा में ही 1979 में दरभंगा राजपरिवार की ओर से 15 सौ कला बस्तुओ का दान देकर महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय की स्थापना की गई।
दरभंगा में चंद्रधारी संग्रहालय भी है। संग्रहालय में हड़प्पा काल की प्रतिमा ,हाथी दांत से निर्मित, काष्ठनिर्मित बहुत सारी दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के नरगौना में महाराजा कामेश्वरसिंग संग्रहालय है जहाँ बहुत सारी दुर्लभ समान मौजूद है।
कामेश्वरसिंग संस्कृत विश्वविद्यालय के पास दुनिया की अनूठी कलाकृतियों का संग्रह है। दरभंगा के महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहल्याधक्ष शिव कुमार मिश्र ने बताया कि अभो इसमें काफी काम करना बाक़ी है। लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है। आज के इस कार्यक्रम में रोसड़ा नगर के धरोहरप्रेमी कृष्णा कुमार लखोटिया ने बताया कि समाज को आगे आकर धरोहरों की सुरक्षा करनी होगी तभी हैम आनेवाली पीढ़ी को अपना इतिहास बता पाएंगे।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलसचिव निशीथ कुमार राय ने कहा कि उन्नत समाज की पहचान अपने विरासत को देखकर की जा सकती है। कुंवर सिंह कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रहमतुल्लाह धरोहरों के प्रति जागरूक करने के लिए लगातार कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही।
विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अध्यक्ष डॉ. रतन कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार को भी चाहिए कि वो मिथिला क्षेत्र की धरोहरों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए एक अभियान चलाए। आज के इस कार्यक्रम में काफी लोगो ने भाग लिया। कार्यक्रम सोशल डिस्टनसिंग को ध्यान में रखते हुए डिजिटली मनाया गया।