बेगूसराय, देशज न्यूज। बेगूसराय जिले में बाढ़ से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इस साल भी नदियों का जल स्तर बढ़ने के साथ-साथ लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है। लेकिन हर साल आने वाली यह बाढ़ गढ़पुरा के बढ़ई (शर्मा) समाज के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं होती है। (the buzzing boat market of garhpura has become)
उत्तर बिहार कु तमाम नदियों में जल स्तर बढ़ने के साथ ही यहां के बढ़ई परिवारों में हरियाली छा गई है। नाव मंडी के रूप में चर्चित गढ़पुरा के 50 से अधिक शर्मा परिवार दिन-रात एक कर नाव बनाने में जुटे हुए हैं।
यहां नाव खरीदने के लिए बेगूसराय के गंगा एवं बूढ़ी गंडक दियारा क्षेत्र के अलावा खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर, दरभंगा, मुजफ्फरपुर तथा गंगा के पार के बड़हिया, सूर्यगढ़ा तथा मुंगेर से बड़ी संख्या में लोग आ चुके हैं। नाव बनाने का काम 24 घंटे चल रहा है।
पिछले 15 दिनों में करीब दो सौ से अधिक नावें की बिक्री हो चुकी हैंं तथा अभी भी दो सौ से अधिक लोग नाव खरीदने के लिए लाइन में लगे हुए हैं। आरा मिल पर दिन-रात लकड़ी चिराई हो रही है तथा बढ़ई समाज के लोग नाव बनाने में जुटे हुए हैं। (the buzzing boat market of garhpura has become)
नाव की इस मंडी में बढ़ई समाज के साथ-साथ सैकड़ों अन्य लोगों को भी रोजगार मिला है। कोई नाव बनाने में जुटा हुआ है, कोई नाव गह रहा है और अलकतरा लगा रहा है। अभी तीन तरह की नाव -एकपटिया, पतामी और डेढ़ साली नाव की अधिक बिक्री हो रही है।
नाव बनाने में जुटे राम उदय शर्मा, तेजो शर्मा, नारायण शर्मा ने बताया] गढ़पुरा कई दशकों से नाव निर्माण की चर्चित मंडी है। यहां से बनी नाव की बिहार के कई जिलों में मांग है। खासकर जामुन की लकड़ी की नाव बनायी जाती है, जो पानी में भी जल्दी नहीं सड़ती है। लकड़ी और नाव की गुणवत्ता के कारण यहां की नाव चर्चित है। (the buzzing boat market of garhpura has become)
इस वर्ष दाम में वृद्धि हुई है, जलई कांटी 80 से एक सौ रुपए प्रति किलो के बदले अभी 150 रुपए किलो में भी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रही है। छह सौ रुपए प्रति केबी में मिलने वाली लकड़ी एक हजार से 11 सौ रुपए केबी में मिल रही है।
मजदूर चार सौ के बदले सात-आठ सौ रुपये मजदूरी ले रहे हैं। इसके बावजूद लोग गंगा, बूढ़ी गंडक, करेह, कोसी, कमला बलान आदि के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण बड़ी संख्या में नाव खरीदने वाले आ रहे हैं तथा हम लोग उपलब्ध करवा रहे हैं।(the buzzing boat market of garhpura has become)
दरभंगा के तिलकेश्वर से पांच लोगों की टोली तीन दिन से यहां रुक कर नाव बनवा रही है ।ये लोग पांच पतामी नाव ले जाएंगे। पंद्रह हजार में सौदा हुआ है, नाव बनायी जा रही है। (the buzzing boat market of garhpura has become)
नाव खरीदने आए रामउदय यादव, विपिन यादव और मुसहरु यादव ने बताया कि हम लोगों के परिवार की जिंदगी हर साल तीन-चार महीने नाव पर गुजरती है। जल स्तर बढ़ने के साथ ही एक कोसी, दूसरी ओर करेह-बागमती और तीसरी ओर कमला बलान के जल प्रलय से घिर जाते हैं। हर पांच-सात साल पर नाव खरीदनी पड़ती है, आखिर करें भी तो क्या इस प्राकृतिक आपदा में। (the buzzing boat market of garhpura has become)