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मधुबनी, देशज टाइम्स ब्यूरो। खतीबे यूरोप एशिया अल्लामा अबुल हककानी रहमतुल्लाह ताला अलैहि के चेहल्लुम शरीफ के मौके पर 12 नवंबर को को लौकहा की सर जमीन पर बहुत बड़ी कॉन्फ्रेंस की जा रही है। इसमें भारत के नामचीन ओलेमा व शोहरा तशरीफ ला रहे हैं।
इनमें खुसूसियत के साथ मोहद्दिसे कबीर अल्लामा जियाउल मुस्तफा घुसी,सरबराहे आला अल्लामा अब्दुल हफिज मुबारकपुर,हजरत अल्लामा उमर रजा खान बरेली शरीफ,हजरत अल्लामा इमरान रजा खान सिम्नानी मियां बरेली, शरीफ हजरत अल्लामा जियाउल मुस्तफा नेपाल, हजरत अल्लामा अरशद रजवी मुजफ्फरपुरके इलावा बिहार और नेपाल के दिगर खानकाओं के सज्जादा नशीं तशरीफ ला रहे हैं।
अल्लामा अबुल हक्कानी की जात कोई मोहताजे तारूफ नहीं थी। उन्होंने कम से कम 37 मुल्कों का दौरा किया और 32 हज किया और अनगिनत उमरा किया उन्होंने कई मदरसे मस्जिद बनवाएं जिसमें अल जामिया फातिमा जहरा दोनार दरभंगा में कायम है। अल्लामा अबुल हक्कानी के जाने के बाद अहले सुन्नत वल जमात का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है, उनके चेहल्लुम शरीफ की तैयारी जोरों पर हो रही है जिसमें हजारों हजार की भीड़ इकट्ठी होगी और हिंदुस्तान के अलावा नेपाल व दूसरे मुल्कों से भी लोग तशरीफ लाएंगे तमाम लोगों के खाने का रहने का इंतजाम उनके तमाम साहबजादे की जानिब से किया जाएगा।
यह बात सोमवार को कोतवाली चौक पर आयोजित प्रेस वार्ता में उनके साहबजादे हजरत मौलाना मुफ्ती तहसीन रजा मिस्बाही ने कही। मुफ्ती तहसीन ने बताया कि हजरत ने अपनी जिंदगी में दरभंगा और मधुबनी की सर जमीन पर दो बहुत बड़ी कॉन्फ्रेंस आलमी इमाम अहमद रजा किया। जो कि तारीखी कॉन्फ्रेंस था।
इसमें विदेश से भी ओल्मा तशरीफ लाए, जिसमें लाखों की संख्या में लोग में जुटे थे। आज भी उस जलसे को और हजरत को लोग याद करते हैं। उर्से चेहल्लुम में अल्लामा अबुल हक्कानी ने जो अपने हाथ से किताब अर्बाइएने अबुल हक्कानी लिखा है। उस का विमोचन उसी कॉन्फ्रेंस में किया जाएगा। तथा अबुल हक्कानी की उनकी जिंदगी पर लिखी गई किताब तजलियाते अबुल हक्कानी का भी विमोचन उसी जलसे में किया जाएगा।
मौलाना अबुल हक्कानी के साहबजादे मो. रेहान रजा ,फैजान रजा ,आदिल रजा ,जामी रजा ,कॉन्फ्रेंस को कामयाब करने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने बताया के जलसे में औरतों के लिए अलग इंतजाम किया गया है। मर्दों का इंतजाम अलग है। मौके पर मौलाना गुलाम सरवर मिस्बाह, बुलबुले दरभंगा रियाज खान कादरी,मौलाना आरिफ रजा मिस्बाह,हाफिज अहमद रजा,मौलाना अब्दुल शकूर कौसर जमाली मौजूद थे।