बेगूसराय, देशज न्यूज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब कहा था सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम कर रही है, तो बैठे-बिठाए प्रगति की आशा रखने वाले लोग आज तक उस मंत्र को जप रहे हैं। लेकिन धरतीपुत्र किसानों ने प्रधानमंत्री के उस मंत्र को जब आत्मसात किया तो आज उनके आर्थिक प्रगति के द्वार खुल गए हैं।
किसानों द्वारा परंपरागत खेती को छोड़कर जब आधुनिक और नई खेती शुरू की गई तो वे कई मिसाल कायम कर रहे हैं। जिसके कारण अब बेगूसराय का बाजार है कई माईनों में आत्मनिर्भर हो गया है।
इसी की एक कड़ी है गेंदा फूल। आज पूजा से लेकर सजावट तक में हर जगह गेंदा फूल की बड़ी डिमांड है। बेगूसराय के बाजारों में यह गेंदा का फूल पहले कोलकाता से मंगाया जाता था। लेकिन अब यहां के किसान जागरूक हुए और बड़ी संख्या में किसानों ने गेंदा फूल की खेती शुरू कर दी है। यह फूल ना केवल सस्ता है बल्कि आसानी से और ताजा उपलब्ध है। बेगूसराय में जिले भर में 50 से अधिक गेंदा की खेती कर रहे हैं। एक सौ बीघा से अधिक जमीन में खिलकर खुशबू दे रहा गेंदा किसानों के आर्थिक प्रगति का आधार बन चुका है।
बेगूसराय के कर्पूरी स्थान का फूल बाजार, बरौनी अथवा बखरी का बाजार हो या जयमंगला गढ़ का मंदिर या बाबा हरिगिरी धाम, सभी जगह स्थानीय गेंदा उपलब्ध है। वीरपुर प्रखंड के गेंदा उत्पादक मनोज कुमार, बखरी के रामनाथ आदि बताते हैं कि आर्थिक उन्नति और प्रगति के लिए सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहा जा सकता है। आज जमाना डिजिटल है, प्रगतिवादी किसान यूट्यूब और गूगल के सहारे खेती के नए-नए टिप्स सीख रहे हैं। हम लोगों ने भी खेती को नया आयाम दिया, परंपरागत खेती छोड़ कर नई तकनीक से नई चीजों की खेती शुरू की।
एक बीघा में दो साल से गेंदा लगा रहे हैं, यह गेंदा आज हमारे परिवार की प्रगति का आधार बन गया है। अब हम बाहर कमाने नहीं जाते हैं, यहीं खेती कर अपने परिवार की बगिया महका रहे हैं, बच्चों को उच्च शिक्षा दिला रहे हैं। सबसे बड़ी विशेषता है कि यह एक ऐसा नगदी फसल है जिसे कोई जंगली जानवर क्षति नहीं पहुंचाते हैं।flower opened the door to economic progress of farmers
बेगूसराय के तमाम बहियारों में नीलगाय और जंगली सूअर का जबरदस्त आतंक है। किसान कोई भी खेती करते हैं तो नीलगाय और जंगली जानवर मिलकर उसे बर्बाद कर देते हैं, जिससे किसानों की को बड़ी आर्थिक क्षति होती है। लेकिन गेंदा को कोई भी जानवर क्षति नहीं पहुंचाते हैं, जिससे इसकी खेती धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है।
गेंदा की खेती पारम्परिक खेती की तुलना में कई गुणा लाभ किसानों को दे सकती है। गेंदा फूल ना सिर्फ कम खर्च में अच्छा लाभ देता है, बल्कि जमीन की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। जिससे किसानों को दोहरा फायदा मिलता है। गेंदा फूल की खेती सर्दी, गर्मी और बरसात के सीजन में की जाती है।
गेंदा फूल की खेती कोई भी किसान कर सकता है। अगर किसान हाईब्रिड किस्म के बीजों को लगाते हैं तो उसे करीब 30 से 35 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। गेंदा फूल की मांग लोकल मार्केट में होने से किसानों को ज्यादा दौड़ धूप करने की भी जरूरत नहीं है।flower opened the door to economic progress of farmers