दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। दरभंगा के बहादुरपुर थाना क्षेत्र केे हाउसिंग कॉलनी में चल रहे बर्थ डे पार्टी के दौरान फायरिंग ने नेपाल की याद दिला दी। मगर शुरूआती चर्चा फिल्म खलनायक से।
बॉलीवुड की फिल्म ‘खलनायक’ जिस वक्त आई और सिनेमाघरों से उतर भी गई, उसी दरमियान नेपाल में सियासत की पटकथा ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि उसकी चपेट में नेपाल के राजा बीरेंद्र बीर (Gang of Bassepur, King of Darbhanga gang commemorates Nepal royal family massacre) बिक्रम शाह और उनका पूरा परिवार ही आ गया। एक ही झटके में एक निर्मम हत्याकांड ने सभी का खेल खत्म कर दिया। राजमहल में इतना बड़ा कांड हो गया पर न तो निष्पक्ष चश्मदीद मिले सके, न सही सबूत।
नेपाल के सबसे लोकप्रिय राजा बीरेंद्र और राजघराने की हत्या के आरोप क्रॉउन प्रिंस दीपेंद्र बीर बिक्रम शाह पर लगे थे। जो कि सच थे या गलत? यह बताने के लिए अब तो युवराज दीपेंद्र भी जिंदा (Gang of Bassepur, King of Darbhanga gang commemorates Nepal royal family massacre) नहीं थे। इस बीच तमाम थ्योरी ने शक की सुई कभी इधर की, तो कभी उधर। जिनमें से एक सुई राजा बीरेंद्र के ही भाई राजकुमार ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह और उनके बेटे युवराज पारस पर जाकर ठहर गई।
इस बीच एक सवाल यह भी कायम था है कि जब युवराज दीपेंद्र ही उस नरसंहार का ‘खलनायक’ था तो उसकी मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया? उसके पोस्टमार्टम से कई ‘राज’फाश हो सकते थे और असली खलनायक तब पहुंचने की कोई कड़ी भी हाथ लग सकती थी।
अलबत्ता, ऐसा लगा कि दरअसल, कोई सच्चाई तक पहुंचना ही नहीं चाहता है। उलट हालात को और उलझाने में ही सबकी रुचि है। लिहाजा, उस नरसंहार का खलनायक क्रॉउन प्रिंस दीपेंद्र को मान (Gang of Bassepur, King of Darbhanga gang commemorates Nepal royal family massacre) लिया गया, पर सवाल अंत तक कायम था कि क्या वाकई में दीपेंद्र ही उस हत्याकांड का असली खलनायक था, अपने चहेते परिवार का कातिल या कोई और?
मगर, यहां इस दरभंगा में आपसी वर्चस्व की कहानी की यह बानगी भर है। कारण, दरभंगा शहर में युवा और कम उम्र के दो अपराधियों के अलग-अलग गैंग है। पहला गैंग ऑफ बासेपुर का बॉस जॉन्टी सिंह, दूसरा किंग ऑफ दरभंगा गैंग का बॉस रौनक सिंह। दोनों गैंग अपने वर्चस्व की लड़ाई में पिछले तक़रीबन पांच साल से कई बार एक दूसरे पर हमला कर चुके हैं।
दोनों के गैंगवार में कुछ बेकसूर आम लोगों की भी गोली लगने से मौत हो चुकी है। शुक्र है, हाउसिंग कॉलोनी स्थित सात फेरे विवाह भवन में दरभंगा के प्रसिद्ध वकील अंबर इमाम हाशमी के बेटे आबिद हाशमी की बर्थडे पार्टी के दौरान चली गोली में आविद हाशमी के दोस्त व इमामबाड़ी निवासी मानू के पूर्व निदेशक स्व. इमरान अहमद के (Gang of Bassepur, King of Darbhanga gang commemorates Nepal royal family massacre) सिविल इंजीनियर पुत्र व वर्तमान में कमतौल में निर्माणाधीन पुल प्रोजेक्ट में बतौर इंजीनियर काम कर रहे फखरूद्दीन अमुल्लाह को जरूर गोली लगी, जिसने पार्टी में घुसे 6 की संख्या में नकाबपोश अपराधियों का विरोध किया।इसके बाद बदमाशों में से एक ने डराने की नीयत से हवाई फायरिग की। लेकिन, फखरूद्दीन ने उस युवक को पकड़ने की कोशिश की। इसी बीच दूसरा बदमाश फायरिग कर दिया। इसमें फखरुद्दीन के पांव में गोली लग गई। वह नीचे गिर गया। इसके बाद भगदड़ मच गई। पार्टी में शामिल लोग बदमाशों को पकड़ने की कोशिश की। लेकिन, सभी बदमाश फायरिग करते फरार हो गए।
अब फिर फ्लैश बैक में आइए चलिए नेपाल जहां, जून,2001 की उस काली रात शाही-भोज से खुद राजकुमार ज्ञानेंद्र न केवल गायब थे, बल्कि भोज में शामिल उनके पूरे परिवार में किसी सदस्य की उस निर्मम हत्याकांड में मौत नहीं हुई थी। उस पर बड़े ही नाटकीय ढंग से ज्ञानेंद्र के पुत्र युवराज पारस को भी एक खरोंच तक नहीं आई (Gang of Bassepur, King of Darbhanga gang commemorates Nepal royal family massacre) थी, जो कि मौका-ए-वारदात पर ठीक वहीं मौजूद था, जहां कथित तौर पर युवराज दीपेंद्र अंधाधुंध गोलीबारी कर रहा था।
उसमें दावा यह कि पारस ने गोलियां बरसाते प्रिंस दीपेंद्र को रोकने का भरपूर प्रयास भी किया, बावजूद इसके दीपेंद्र ने सबको मारा डाला पर रहस्यमय ढंग से पारस को क्यों छोड़ दिया? यह आज तक ‘राज’ बना हुआ है।
दरभंगा के बहादुरपुर की इस घटना का नेपाल नरसंहार से अंतर सिर्फ व बस इतना भर, नेपाल में राजा समेत उनका परिवार उस नरसंहार में मारा गया था यहां दरभंगा में बस एक इंजीनियर जख्मी हुआ। अगर फायरिंग कहीं और विकराल होता तो सोचिए क्या होता। ऐसे मेंसवाल यही, दोनों दरभंगा के गिरोह में पूर्व में भी आपसी वर्चस्व के लिए गोलीबारी हुई हैं, मगर ठोस कार्रवाई नदारद रहा है,
इस बार क्या होगा…? सिटी एसपी अशोक कुमार का कहना है, इन सभी अपराधियों का पूर्व से ही अपराधिक कनेक्शन रहा है। जानकारी के अनुसार यह लड़ाई जॉनी सिंह और रौनक सिंह के बीच था। (Gang of Bassepur, King of Darbhanga gang commemorates Nepal royal family massacre) इसी वजह से फायरिंग हुई है। इधर, सदर एसडीपीओ अनोज कुमार ने बताया कि सीसी कैमरा को खंगाला जा रहा है। बदमाशों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है।