उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath Chief Minister Uttar Pradesh) के खिलाफ बिहार के मुजफ्फरपुर की एक अदालत में पिछले सोमवार को एक याचिका दायर की गई। इसके बाद जो कुछ आज यानी 17 सितंबर को हुआ है उसकी पूरी रिपोर्ट देशज टाइम्स पर
इस याचिका में एक भाषण में योगी की विवादित ‘अब्बा जान’ वाली टिप्पणी को लेकर आपत्ति जताई गई है। सीएम पर मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएं आहत करने को लेकर केस दर्ज करने की मांग की गई।
इसके बाद क्या हुआ
मुजफ्फरपुर की सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दायर की। तमन्ना ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेता की टिप्पणी से मुस्लिम समुदाय, जिससे वह संबंधित हैं, का अपमान हुआ है।
मुजफ़्फ़रपुर। जिले के अहियापुर थाना क्षेत्र के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने बीते 13 सितंबर को अब्बा जान वाले बयान पर मुजफ्फरपुर के सीजीएम कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया था जिसकी सुनवाई 21 सितंबर को होनी है।
इस बीच हाशमी को गुरुवार देर रात यूपी सीएम पर केस करने को लेकर व्हाट्सएप पर एक नंबर से भद्दी भद्दी गालियां और धमकी भरे लहजे में मैसेज लिखे आने शुरू हुए और कहा कि तुम बार बार सब पर केस करता है फिर अचानक वीडियो कॉल आया और जान से मारने और सपरिवार को बर्बाद करने की धमकी दे डाली।
इसके बाद पूरा परिवार डर और भय के माहौल में जी रहा है। तमन्ना हाशमी ने बताया कि धमकी के बाद लिखित शिकायत स्थानीय अहियापुर थाना में किया हूं।
इस पर थानाध्यक्ष ने हर संभव कार्रवाई का भरोसा दिया है। नगर डीएसपी ने पूछे जाने पर बताया कि सामाजिक कार्यकर्ता ने धमकी देने को लेकर लिखित शिकायत की है। पूरे मामले की जांच की जा रही है। जल्द उचित कानूनी कार्रवाई होगी।
यह था मामला
सीएम योगी ने गत रविवार को यूपी के कुशीनगर में एक कार्यक्रम में कथित तौर पर कहा था कि 2017 में उनके सत्ता में आने के बाद ही उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रभावी हो सकी, क्योंकि इससे पहले गरीबों के राशन का इस्तेमाल ‘अब्बा जान कहने वाले’ करते थे। अब्बाजान शब्द का इस्तेमाल मुसलमानों द्वारा अपने पिता को संबोधित करने के लिए किया जाता है।
अतीत में कई राजनेताओं के खिलाफ याचिका दायर करने वाली तमन्ना हाशमी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है। तय अदालती प्रक्रिया के अनुरूप इस याचिका पर सुनवाई हो सकती है।