बेनीपुर प्रखंड क्षेत्र में नरक निवारण चतुर्दशी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न शिवालयों में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना कर दिनभर उपवास रखा और शाम में बेर खाकर अपने व्रत का समापन किया।

वैसे तो वर्ष में 24 चतुर्दशी होते हैं, लेकिन माघ मास के इस चतुर्दशी का कुछ विशेष महत्व है। वैसे तो देशभर में लेकिन खासकर मिथिलांचल में यह व्रत विशेष रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर क्षेत्र के पोहद्दी अवस्थित कमला किनारे स्थापित बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर,अंटौर पंचनाथ महादेव, धरौरा बनही महादेव के साथ-साथ क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों में पौ फटने से पूर्व लोगों की भीड़ पूजा अर्चना को जुटी रही और शिवालयों में हर-हर बम-बम की धुन गुंजायमान होती रही।
इस पर्व के संबंध में कहा जाता है कि इस चतुर्दशी को व्रत रखने से सभी पाप और बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है । क्षेत्र के जाने माने शास्त्र ज्ञाता डॉक्टर परमेन्दु पाठक बताते हैं कि शिव पुराण में नरक निवारण चतुर्दशी का विशेष चर्चा की गई है।
इसमें मुख्य रुप से कहा जाता है कि आज ही के दिन पर्वतराज हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती की शादी के लिए शिव के पास प्रस्ताव भेजा था जिसे स्वीकार किया गया था।
साथ ही दूसरी मान्यता है कि आज के दिन भगवान शिव का पूजा बिल्वपत्र एवं बेर के साथ किए जाने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मनुष्य के सभी बुरे कर्मों को माफ करते हुए उन्हें स्वर्ग के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं इसी मान्यता को लेकर इस पूजा और उपवास का विशेष महत्व दिया जाता है।
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