बेनीपुर। नगर परिषद मुख्य पार्षद उप मुख्य पार्षद एवं पार्षदों की चुनावी सरगर्मी के बीच गत चार अक्टूबर को उच्च न्यायालय के आदेश ने नगर निकाय चुनाव पर तत्काल विराम लगा दिया।
वैसे, बेनीपुर नगर परिषद के लिए कोई नयी बात नहीं है। गठन के समय चुनाव बाद परिणाम पर रोक लग चुकी है। उच्च न्यायालय के इस आदेश से कहीं आह तो कहीं वाह की स्थिति बनी हुई है।
न्यायालय के आदेश से जहां चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में मायूसी है तो आरक्षण रोस्टर के कारण चुनाव लड़ने से वंचित लोगों में खुशी का माहौल दिख रहा है।
जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने बेनीपुर नगर परिषद के मुख्य पार्षद एवं उप मुख्य पार्षद पद को पिछड़ो के लिए आरक्षित करते हुए आगामी 10 अक्टूबर को चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी। उक्त आलोक में प्रत्याशियों की ओर से 9 अक्टूबर से 19 तक नामांकन प्रक्रिया पूरा कर चुनाव प्रचार में जुट गए थे ,चुनाव से मात्र 6 दिन पूर्व न्यायालय के आदेश आते ही चुनाव पर विराम लग गया।
नगर परिषद के मुख्य पार्षद एवं उप मुख्य पार्षद पद के लिए पहली बार सीधे जनता की ओर से चुने जाने का मौका मिला था । जिसे पिछड़े समुदाय के लिए आरक्षित कर दिया गया था, पिछड़े समुदाय के 16 प्रत्याशियों ने मुख्य पार्षद तो 6 प्रत्याशी उप मुख्य पार्षद पद के लिए चुनाव मैदान में अपना किस्मत आजमा रहे थे। लेकिन एन वक्त पर उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा पिछड़ों को दिए गए आरक्षण की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए सभी पिछड़े आरक्षित सीट को सामान्य मानकर चुनाव कराने का निर्देश जारी कर दिया है।
इससे पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों में मायूसी है तो वहीं आरक्षण के कारण चुनाव लड़ने से वंचित सामान्य वर्ग के लोगों में प्रसन्नता देखी जा रही है। वैसे, वर्ष 2009 में बेनीपुर नगर परिषद गठन के समय प्रभावित हुए बेनीपुर पंचायत के मुखिया शैलेंद्र मोहन पासवान एवं बसुहाम पंचायत के मुखिया और रमा कान्त झा ने अपने कार्यकाल को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
उस समय चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर मतदान का करवा लिया गया था, लेकिन न्यायालय ने तत्काल चुनाव परिणाम पर रोक लगाते हुए सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित कर दी थी। लेकिन साल भर बाद 2010 में न्यायालय ने मतगणना संपन्न कराकर नगर परिषद गठन की हरी झंडी दी थी और बेनीपुर नगर परिषद अस्तित्व में आ सका।