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दिसम्बर, 26, 2025

J. P. Nadda — ‘भारत सिर्फ़ टीबी से नहीं लड़ रहा, बल्कि इसे हरा भी रहा है’

भारत में टीबी उन्मूलन पर एक ऐतिहासिक अभियान चल रहा है, और इसके केंद्र में हैं जेपी नड्डा। जानिए कैसे भारत बदल रहा है, देशज टाइम्स पर। पढ़ें जेपी नड्डा का विशेष आलेख — समझें 100-दिवसीय सघन टीबी-मुक्त भारत अभियान की पूरी रिपोर्ट। देशज टाइम्स पर हर खबर होती है महत्वपूर्ण, प्रामाणिक और निष्पक्ष।

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गत प्रकाश नड्डा (J. P. Nadda) | इस विश्व टीबी दिवस पर, मैं इस बात पर गर्व के साथ विचार करता हूँ कि भारत टीबी के खिलाफ़ लड़ाई में नई रणनीतियाँ अपना रहा है। हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय सघन टीबी-मुक्त भारत अभियान ने नवाचार की शक्ति और समुदाय की संगठित भागीदारी का महत्व उजागर किया है। यह अभियान 7 दिसंबर 2024 को टीबी के मामलों की शीघ्र पहचान, मृत्यु दर में कमी और नए मामलों को रोकने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था।

अभियान की नई रणनीतियाँ

टीबी के खिलाफ़ लड़ाई में तकनीक और जनभागीदारी एक साथ काम कर रही हैं।

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100-दिवसीय सघन टीबी-मुक्त भारत अभियान में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया:

  • पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को टीबी के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के पास ले जाया गया।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित एक्स-रे तकनीक से संदिग्ध मामलों की त्वरित पहचान हुई।
  • न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट (NAAT) द्वारा टीबी की सटीक पुष्टि की गई।
  • संक्रमण पर शीघ्र नियंत्रण के लिए त्वरित इलाज की व्यवस्था की गई।

अभियान के प्रभावशाली आँकड़े

यह सिर्फ़ एक मील का पत्थर नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

  • 2.97 करोड़ लोगों की टीबी जाँच की गई।
  • 7.19 लाख टीबी रोगियों की पहचान हुई
  • 2.85 लाख बिना लक्षण वाले मामले, जो अन्यथा अनदेखे रह जाते
  • 13.46 लाख से अधिक निक्षय शिविर आयोजित किए गए।
  • 30,000+ निर्वाचित प्रतिनिधियों ने अभियान को समर्थन दिया।
  • 22 मंत्रालयों ने मिलकर 35,000 से अधिक गतिविधियाँ आयोजित कीं।
  • 78,000 से अधिक शिक्षण संस्थानों में 7.7 लाख छात्रों ने भाग लिया।
  • 4.17 लाख से अधिक संवेदनशील आबादी की स्क्रीनिंग और परीक्षण किया गया।
  • 21,000+ टीबी जागरूकता गतिविधियाँ धर्मगुरुओं और सामुदायिक नेताओं के सहयोग से हुईं।

टीबी उन्मूलन: एक जन आंदोलन

टीबी उन्मूलन सिर्फ़ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सामूहिक मिशन है।

  • नि:क्षय मित्र पहल के तहत 1,05,181 नए नि:क्षय मित्रों को नामांकित किया गया।
  • हज़ारों पोषण किट वितरित की गईं।
  • नि:क्षय पोषण योजना के तहत वित्तीय सहायता ₹500 से बढ़ाकर ₹1,000 प्रति माह कर दी गई।
  • टीबी रोगियों के लिए व्यक्तिगत देखभाल योजना बनाई गई, जिसमें बीएमआई <18.5 होने पर विशेष पोषण व उपचार योजना दी गई।

सरकार और समाज का संयुक्त प्रयास

टीबी जागरूकता अब हमारे रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन रही है।

  • गोवा कार्निवल परेड में टीबी जागरूकता झांकियां मुख्य आकर्षण रहीं।
  • स्कूलों में सुबह की सभाओं में टीबी जागरूकता संदेशों को शामिल किया गया।
  • MSME मंत्रालय ने अपने क्लस्टर कार्यालयों में हजारों लोगों की मुफ्त टीबी जांच करवाई।
  • त्योहारों पर 21,000 से अधिक जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की गईं।

अभियान की भविष्य की दिशा

100 दिवसीय अभियान सिर्फ़ एक शुरुआत है, भारत अब इसे पूरे देश में बढ़ाने के लिए तैयार है।

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  • आधुनिक टीबी निदान प्रणाली विकसित की जा रही है।
  • अधिक सटीक और तेज़ जाँच सुनिश्चित करने के लिए सरकार नवीनतम तकनीकों में निवेश कर रही है।
  • कोविड-19 की तरह टीबी की जाँच को देशव्यापी स्तर पर तेज़ी से बढ़ाया जाएगा।

निष्कर्ष

भारत ने पहले भी स्वच्छ भारत मिशन और पोलियो उन्मूलन अभियान जैसी सामुदायिक पहल के ज़रिए बड़े बदलाव लाए हैं। “टीबी मुक्त भारत अभियान” भी एक ऐसा ही जन आंदोलन बन रहा है। जब नवाचार और समुदाय की शक्ति एक साथ आती है, तब असंभव भी संभव बन जाता है

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भारत सिर्फ़ टीबी से नहीं लड़ रहा है – हम इसे हरा भी रहे हैं।

( लेखक भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हैं। )

(Edited by Anurag)

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