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23 नवम्बर, 2024
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Tribal Pride Day : जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध

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भारत दुनिया का एक अनूठा देश है, जहाँ 700 से अधिक जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं। देश की ताकत, इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता में निहित है। जनजातीय समुदायों ने अपनी उत्कृष्ट कला और शिल्प के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है।

अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए विशेष प्रावधान

जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध
जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध

उन्होंने अपनी पारंपरिक प्रथाओं के माध्यम से पर्यावरण के संवर्धन, सुरक्षा और संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाई है। अपने पारंपरिक ज्ञान के विशाल भंडार के साथ, जनजातीय समुदाय सतत विकास के पथ प्रदर्शक रहे हैं।

राष्ट्र निर्माण में जनजातीय समुदायों की ओर से निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए, हमारे संविधान ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए विशेष प्रावधान किए हैं।

पहचान पर गर्व करते हैं और सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करना पसंद

जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध
जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध

जनजातीय लोग सरल, शांतिप्रिय और मेहनती होते हैं, जो मुख्यतः वन क्षेत्रों में स्थित अपने निवास स्थान में प्राकृतिक सद्भाव के साथ रहते हैं। वे अपनी पहचान पर गर्व करते हैं और सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैं। औपनिवेशिक शासन की स्थापना के दौरान ब्रिटिश राज ने देश के विभिन्न समुदायों की स्वायत्तता के साथ-साथ उनके अधिकारों और रीति-रिवाजों का अतिक्रमण करने वाली नीतियों की शुरुआत की।

ब्रिटिश राज ने लोगों और समुदायों को पूर्ण अधीनता स्वीकार करने के लिए कठोर कदम उठाए। इससे विशेष रूप से जनजातीय समुदायों में जबरदस्त आक्रोश पैदा हुआ, जिन्होंने प्राचीन काल से अपनी स्वतंत्रता और विशिष्ट परंपराओं, सामाजिक प्रथाओं और आर्थिक प्रणालियों को संरक्षित रखा था।

Tribal Pride Day : जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध
Tribal Pride Day : जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध

जल निकायों सहित संपूर्ण वन पारिस्थितिकी तंत्र, जनजातीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार था। ब्रिटिश नीतियों ने पारंपरिक भूमि-उपयोग प्रणालियों को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने जमींदारों का एक वर्ग तैयार किया और उन्हें जनजातीय क्षेत्रों में भी जमीन पर अधिकार दे दिया।

पारंपरिक भूमि व्यवस्था को काश्तकारी व्यवस्था में बदल दिया गया और जनजातीय समुदाय असहाय काश्तकार या बंटाईदार बनने पर मजबूर हो गए। अन्यायपूर्ण और शोषक प्रणाली द्वारा करों को लागू करने तथा उनकी पारंपरिक जीविका को प्रतिबंधित करने के बढ़ते दमन के साथ कठोर औपनिवेशिक पुलिस प्रशासन द्वारा वसूली और साहूकारों द्वारा शोषण ने आक्रोश को और गहरा किया, जिससे जनजातीय क्रांतिकारी आंदोलनों की उग्र शुरुआत हुई।

पारंपरिक हथियारों और तकनीकों के साथ संघर्ष जारी

जनजातीय आंदोलनों और प्रतिक्रियावादी तरीकों की कुछ विशेषताएं एक जैसी थीं, हालांकि वे देश के अलग-अलग भागों में फैली हुई थीं। उनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य; ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा भूमि, जंगल और आजीविका से संबंधित दमनकारी कानूनों को लागू करने के खिलाफ अपनी जनजातीय पहचान और जीवन तथा आजीविका पर आधारित अपने परंपरागत अधिकारों की रक्षा करना था।

आंदोलन हमेशा समुदाय से एक प्रेरणादायक नेता के उद्भव के साथ शुरू हुआ था; एक नायक, जिन्हें इस सीमा तक सम्मान दिया जाता था कि समुदाय, स्वतंत्रता प्राप्ति और उसके बाद तक उनका अनुसरण करना जारी रखता था, भले की समुदाय अलग-अलग क्षेत्रों में निवास कर रहे हों। जनजातीय समुदायों ने आधुनिक हथियारों को नहीं अपनाया और अंत तक अपने पारंपरिक हथियारों और तकनीकों के साथ संघर्ष जारी रखे।

शहीदों में से सबसे करिश्माई बिरसा मुंडा थे

ब्रिटिश राज के खिलाफ बड़ी संख्या में जनजातीय क्रांतिकारी आंदोलन हुए और इनमें कई आदिवासी शहीद हुए। शहीदों में से कुछ प्रमुख नाम हैं-तिलका मांझी, टिकेंद्रजीत सिंह, वीर सुरेंद्र साई, तेलंगा खड़िया, वीर नारायण सिंह, सिद्धू और कान्हू मुर्मू, रूपचंद कंवर, लक्ष्मण नाइक, रामजी गोंड, अल्लूरी सीताराम राजू, कोमराम भीमा, रमन

Tribal Pride Day : जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध
Tribal Pride Day : जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध

नाम्बी, तांतिया भील, गुंदाधुर, गंजन कोरकू सिलपूत सिंह, रूपसिंह नायक, भाऊ खरे, चिमनजी जाधव, नाना दरबारे, काज्या नायक और गोविंद गुरु आदि। इन शहीदों में से सबसे करिश्माई बिरसा मुंडा थे, जो वर्तमान झारखंड के मुंडा समुदाय के एक युवा आदिवासी थे। उन्होंने एक मजबूत प्रतिरोध का आधार तैयार किया, जिसने देश के साथी जनजातीय लोगों को औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लगातार लड़ने के लिए प्रेरित किया।

बिरसा मुंडा सही अर्थों में एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ बहादुरी से संघर्ष किया और एक किंवदंती नायक (लीजेंड) बन गए। बिरसा ने जनजातीय समुदायों के ब्रिटिश दमन के खिलाफ आंदोलन को ताकत दी।

उन्होंने जनजातियों के बीच “उलगुलान” (विद्रोह) का आह्वान करते हुए आदिवासी आंदोलन को संचालित किया और इसका नेतृत्व किया। युवा बिरसा जनजातीय समाज में सुधार भी करना चाहते थे और उन्होंने उनसे नशा, अंधविश्वास और जादू-टोना में विश्वास नहीं करने का आग्रह किया और प्रार्थना के महत्व, भगवान में विश्वास रखने एवं आचार संहिता का पालन करने पर जोर दिया। उन्होंने जनजातीय समुदाय के लोगों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों को जानने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। वे इतने करिश्माई जनजातीय नेता थे कि जनजातीय समुदाय उन्हें ‘भगवान’ कहकर बुलाते थे।

आने वाली पीढ़ियां देश के लिए उनके बलिदान के बारे में जानें 

pm narendra modi : Tribal Pride Day : जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध
pm narendra modi : Tribal Pride Day : जनजातीय गौरव दिवस पर पढ़िए Deshaj Article केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री Arjun Munda के साथ-जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रतिबद्ध

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा जनजातीय समुदायों के बहुमूल्य योगदानों, विशेष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके बलिदानों, पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2016 को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा निभाई गई भूमिका पर बल देते हुए एक घोषणा की थी, जिसमें जनजातीय समुदाय के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में देश के विभिन्न हिस्सों में स्थायी समर्पित संग्रहालयों के निर्माण की परिकल्पना की गई थी ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के लिए उनके बलिदान के बारे में जान सकें।

इसी घोषणा का अनुसरण करते हुए, जनजातीय कार्य मंत्रालय देश के विभिन्न स्थानों पर राज्य सरकारों के सहयोग से जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित संग्रहालयों का निर्माण कर रहा है। ये संग्रहालय विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोए रखेंगे। इस किस्म का सबसे पहले बनकर तैयार होने वाला संग्रहालय रांची का बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय है, जिसका उद्घाटन इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा किया जा रहा है।

बिरसा मुंडा : जीवन परिचय, आंदोलन, विद्रोह और आंदोलन का महत्व
बिरसा मुंडा : जीवन परिचय, आंदोलन, विद्रोह और आंदोलन का महत्व

जनजातीय समुदायों के बलिदानों एवं योगदानों को सम्मान देते हुए, भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है। इस तिथि को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती होती है। यह वाकई जनजातीय समुदायों के लिए एक मार्मिक क्षण है जब देश भर में जनजातीय समुदायों के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को आखिरकार स्वीकार कर लिया गया है।

इन गुमनाम वीरों की वीरता की गाथाएं आखिरकार दुनिया के सामने लाई जायेंगी। देश के विभिन्न हिस्सों में 15 नवंबर से लेकर 22 नवंबर तक सप्ताह भर चलने वाले समारोहों के दौरान बड़ी संख्या में गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है ताकि इस प्रतिष्ठित सप्ताह के दौरान देश के उन महान गुमनाम आदिवासी नायकों, जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया, को याद किया जा सके।

निःस्वार्थ सेवा और बलिदान को सलाम

जनजातीय गौरव दिवस मनाने के इस ऐतिहासिक अवसर पर, यह देश विभिन्न इलाकों से संबंध रखने वाले अपने उन नेताओं एवं योद्धाओं को याद करता है, जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने प्राणों की आहुति दी। हम सभी देश के लिए उनकी निःस्वार्थ सेवा और बलिदान को सलाम करते हैं।

बिरसा मुंडा का नाम हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सभी महान विभूतियों की तरह ही सम्मान के साथ लिया जाएगा। 25 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल कीं, वैसा कर पाना साधारण आदमी के लिए असंभव था।

उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी समुदाय को लामबंद करते हुए आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों को लागू करने के लिए औपनिवेशिक शासकों को मजबूर किया। भले ही उनका जीवन छोटा था, लेकिन उनके द्वारा जलाई गई सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्रांति की लौ ने देश के जनजातीय समुदायों के जीवन में मौलिक परिवर्तन लाए।

Birsa Munda - भगवान बिरसा मुंडा के नाम से कांपते थे अंग्रेज
Birsa Munda – भगवान बिरसा मुंडा के नाम से कांपते थे अंग्रेज

ब्रिटिश दमन के खिलाफ सशस्त्र स्वतंत्रता संग्राम ने राष्ट्रवाद की भावना को उभारा। समूचा भारत इस वर्ष भारत की आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहा है और यह आयोजन उन असंख्य जनजातीय समुदाय के लोगों एवं नायकों के योगदान को याद किए और उन्हें सम्मान दिए बिना पूरा नहीं होगा, जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

मातृभूमि, स्वतंत्रता,अधिकारों की रक्षा के लिए किया विद्रोह

उन्होंने लंबे समय तक चलने वाले स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से बहुत पहले, जनजातीय समुदाय के लोगों और उनके नेताओं ने अपनी मातृभूमि और स्वतंत्रता एवं अधिकारों की रक्षा के लिए औपनिवेशिक शक्ति के खिलाफ विद्रोह किया। चुआर और हलबा समुदाय के लोग 1770 के दशक की शुरुआत में उठ खड़े हुए और भारत द्वारा स्वतंत्रता हासिल करने तक देश भर के जनजातीय समुदाय के लोग अपने-अपने तरीके से अंग्रेजों से लड़ते रहे।

चाहे वो पूर्वी क्षेत्र में संथाल, कोल, हो, पहाड़िया, मुंडा, उरांव, चेरो, लेपचा, भूटिया, भुइयां जनजाति के लोग हों या पूर्वोत्तर क्षेत्र में खासी, नागा, अहोम, मेमारिया, अबोर, न्याशी, जयंतिया, गारो, मिजो, सिंघपो, कुकी और लुशाई आदि जनजाति के लोग हों या दक्षिण में पद्यगार, कुरिच्य, बेड़ा, गोंड और महान अंडमानी जनजाति के लोग हों या मध्य भारत में हलबा, कोल, मुरिया, कोई जनजाति के लोग हों या फिर पश्चिम में डांग भील, मैर, नाइका, कोली, मीना, दुबला जनजाति के लोग हों, इन सबने अपने दुस्साहसी हमलों और निर्भीक लड़ाइयों के माध्यम से ब्रिटिश राज को असमंजस में डाले रखा।भगवान बिरसा मुंडा कौन थे |जनजाति गौरव दिवस | Janjati Gaurav Divas - GK in Hindi | MP GK | GK Quiz| MPPSC | CTET | Online Gk | Hindi Grammar

हमारी आदिवासी माताओं और बहनों ने भी दिलेरी और साहस भरे आंदोलनों का नेतृत्व किया। रानी गैडिनल्यू, फूलो एवं झानो मुर्मू, हेलेन लेप्चा एवं पुतली माया तमांग के योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।

श्रद्धांजलि देने जैसी गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला का आयोजन

15 नवंबर से लेकर 22 नवंबर, 2021 वाले सप्ताह के दौरान, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हमारे जनजातीय समुदाय के महान स्वतंत्रता सेनानियों की यादों के प्रति सम्मान के तौर पर आदिवासी नृत्य उत्सवों, शिल्प मेलों, चित्रकला प्रतियोगिताओं, आदिवासी उपलब्धियों का सम्मान करने, कार्यशालाओं, रक्तदान शिविरों और महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने जैसी गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। यह जनजातीय समुदाय के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन को तहेदिल से याद करने और खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित करने का एक अवसर है।

(लेखक, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्री हैं)

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