अप्रैल,30,2024
spot_img

‘सतुआन…टटका बासी’: सूर्य पूरा करता है उत्तरायण परिक्रमा का आधा सफर…वैशाखी पर इन राशि वालों की चमकेगी किस्मत

spot_img
spot_img
spot_img

वैदिक ग्रंथों में वर्णित मेष संक्रांति पर्व को उत्तर भारत खासकार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में ‘सतुआन’ पर्व के रूप में मनाया जाता है। वैशाख महीने में मनाया जाने वाला यह पर्व 14 अप्रैल को (Tomorrow is Friday the festival of Satuani) है।

सतुआन मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। यह बिहार के मिथिलांचल के लोगों की ओर से जुड़शीतल पर्व के नाम से भी मनाया जाता है। और, इसे मिथिला में नए साल की शुरुआत का प्रतीक कहा जाता है।

प्रकृति के इस पर्व को आप एक बार ध्यान से देखें तो आपको पता चलेगा कि इसे किन सिद्धांतों से जोड़ा गया है। बिहार के अंग क्षेत्र में सतुआना से एक दिन पहले ‘टटका बासी’ उत्सव मनाया जाता है।

सतुआनी यानी कि सत्तू की पूजा करने, प्रसाद चढ़ाने, दान करने और खाने की परंपरा। अपने आप में यह त्योहार प्रकृति से जुड़ाव तो जगाता ही है, साथ ही आरोग्य लाभ की ओर इशारा करता है तो दूसरी ओर इस बात को बढ़ावा देता है कि सहजता और सादगी ही जीवन का मूल है।

पुराने समय में जब लोग बड़ी यात्राओं पर निकला करते थे कपड़ों की गठरी के साथ खाने का थैला जो साथ रखते थे उसमें सत्तू प्रमुखता से होता था। सत्तू होने का मतलब था कि आपकी यात्रा सरलता से बीतेगी और सत्तू आपको ऊर्जावान बनाए रखेगा।

यह भी पढ़ें:  Bihar News | Patna High Court News | बिहार में 10 हजार से ज्यादा ANM की होगी बहाली, Patna High Court का Big Decision

इस साल सूर्य देव मेष राशि में 14 अप्रैल शुक्रवार दोपहर दो बजकर 58 मिनट पर प्रवेश करेंगे। वैशाख संक्रांति का पुण्य काल 14 अप्रैल सुबह आठ बजकर 34 मिनट के बाद शुरू होगा। इसलिए 14 अप्रैल सुबह आठ बजकर 34 मिनट के बाद जप, तप, स्नान, दान आदि करना शुभ होगा।

उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मनाये जाने वाले सतुआन पर्व को सामाजिक, अध्यात्मिक और भौगोलिक दृष्टि से भीषण ग्रीष्म ऋतु के आगमन का पर्व है। इस दिन सूर्यदेव राशि परिवर्तन कर मेष राशि में प्रवेश करते हैं।

लोग अपने पूजा घर में मिट्टी या पीतल के घड़े में आम का पल्लो (पत्तियों का गुच्छा) रखकर घड़ा स्थापित कर पूजन अर्चन करने की तैयारी करते हैं। सत्तू, गुड़ और आम के टिकोरा से बनी चटनी को सत्तू के साथ प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और प्रकृति के साथ खुद को जोड़ते हैं।

इस पर्व में आठ घंटे तक पुण्यकाल होता है। मेष संक्रांति में चार घंटा पहले से चार घंटा बाद तक पितरों को तर्पण और पूजन-अर्चन का विधान है। यह वैशाख मास की प्रवृत्ति का दिन है। संक्रांति पर भगवान भाष्कर उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरा कर लेते हैं। दूसरे दिन यानी 15 अप्रैल को जूरी शीतला व्रत होता है।

यह भी पढ़ें:  kk Pathak | Bihar News | हेडमास्टरों पर अब होगा FIR...

इसे बासी पर्व के नाम से भी जानते हैं। इस दिन बासी पानी को पेड़ पौधों में डालकर उन्हें तृप्त करने की व्यवस्था है। आम की चटनी और सत्तू को घोलकर पहले सूर्य देव को चढ़ाया जाता है और फिर उसे प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।

वैशाख पर जानिए क्या है आपकी राशि में लाभ या नुकसान क्या है आपकी राशि के अनुसार दान और क्या करें दान में पूरी खबर

वृष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन राशि वालों के लिए यह संक्रांति शुभ होगी। बाकी राशि के जातकों के लिए यह संक्रांति अशुभ होगी। वैशाख संक्रांति पर सूर्य देव का प्रवेश मेष राशि में होता है और इसका हर राशि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपकी ओर से किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो।

यह भी पढ़ें:  Bihar News| Purnia News| आतिशबाजी से अब डर लगता है साहब... Darbhanga का अंटौर Incident Repeat...बरात की आतिशबाजी से फल-सब्जी मंडी राख, सैकड़ों दुकानें जलीं, नुकसान मत पूछिए...

मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए। वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े, चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा। मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल, पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें। कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल, सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।

सिंह राशि के लोगों को तांबा, गुड़, गेंहू, गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए।
कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए। तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल, गुड़, सात तरह के अनाज का दान देना चाहिए।

वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।
धनु राशि के जातकों को वस्त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।
मकर राशि के लोगों को गुड़,चावल, कंबल और तिल दान करने चाहिए।

कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी, कंबल, घी और तिल का दान चाहिए। मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल और तिल दान देने चाहिए।

ताज़ा खबरें

Editors Note

लेखक या संपादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ संपादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। देशज टाइम्स में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं। देशज टाइम्स टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है। कोई शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो कृपया deshajtech2020@gmail.com पर लिखें।

- Advertisement -
- Advertisement -
error: कॉपी नहीं, शेयर करें