पूर्णिया, देशज न्यूज। कहते है कि इंसान से ज्यादा कुत्ते वफादार होते हैं। कुत्ते इंसान की भावनाओं को समझते हैं और उनसे प्यार करते हैं। वहीं इंसान भी कुत्तों से उतना ही प्यार करते हैं। बापू ने भी कहा है (A wonderful story of humanity seen in Purnia of Bihar, the owner gave the dog a shoulder at the funeral) कि किसी देश का विकास और महानता का अनुमान वहां के पशुओं के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं।
आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां लोग अपने प्रिय लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पातें हैं, वहीं जिले के के.नगर प्रखंड के कोहवारा पंचायत के रामनगर में एक परिवार ने अपने कुत्ते की मौत (A wonderful story of humanity seen in Purnia of Bihar, the owner gave the dog a shoulder at the funeral) होने पर उसे हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम विदाई देकर अनूठा मिशाल पेश किया।
समर शैल नेचुरल फार्म के संस्थापक हिमकर मिश्रा ने फार्म व ड्योढी के संरक्षण के लिए अनेक किस्म के कुत्ते पाल रखे हैं। जिसमें से एक ब्राउनी नामक कुत्ता था जो लगभग पिछले 15 सालों से उन्होंने पाल रखा था। रामनगर स्थित समर शैल नेचुरल फार्म में एक कुत्ते ब्राउनी की मौत पर अंतिम यात्रा निकाली गई। ब्राउनी की मौत के बाद निकली इस अंतिम यात्रा में न सिर्फ इस फॉर्म के संस्थापक हिमकर मिश्रा बल्कि फार्म के सभीकर्मी और उनके परिवार वाले भी शामिल हुए। फूल-माला से (A wonderful story of humanity seen in Purnia of Bihar, the owner gave the dog a shoulder at the funeral) सजी अर्थी को कंधे पर ले जाकर फार्म के औरा बाड़ी में ब्राउनी को अंतिम पूरे विधि-विधान के साथ दफनाया गया।
फार्म के संस्थापक हिमकर मिश्रा बताते हैं कि ब्राउनी सिर्फ कुत्ता नहीं बल्कि इस फार्म का रक्षक भी था। उसे कभी किसी से कोई शिकायत नहीं रही। वह हम सभी के जिंदगी का एक हिस्सा था, जो पूरी वफादारी और इमानदारी से (A wonderful story of humanity seen in Purnia of Bihar, the owner gave the dog a shoulder at the funeral) फार्म की रक्षा करता रहा। हिमकर बताते हैं कि ब्राउनी उनके घर के सदस्य जैसा था।
उन्होंने बताया कि आज से 15 वर्ष पूर्व पुणे में कुत्ते का छोटा बच्चा का खरीदकर भोपाल ले कर आये थे। वह इंडियन शिप ब्रिड का डॉग था। ब्राउनी की मौत के बाद हम सबने मिल कर उसे ऐसी विदाई देने की सोची जो लोगों के लिए प्रेरणा बन सके। जिस तरह से आदमी की मौत पर अंतिम यात्रा निकाली जाती है। उसी तरह ब्राउनी की मौत के बाद उसके लिए अर्थी बनवाया और उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। जिस जगह ब्राउनी को दफनाया गया है वहां अलग-अलग प्रजाति के काफी सारे पौधे भी लगाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि जिस जगह ब्राउनी को दफनाया गया है उस जगह उसकी याद में ब्राउनी स्मृति स्मारक भी बनवाया जाएगा। ब्राउनी स्मारक स्थल को रंग बिरंगे फूलों का पार्क बनाकर ब्राउनी पार्क का नाम दिया जाएगा। जिसकी कवायद महज 8 दिनों के अंदर ही कर दी जाएगी। फार्म में जो भी लोग आएंगे उन्हें स्मारक को दिखाने के साथ-साथ ब्राउनी के किस्से को भी सुनाया जाएगा।