

विकास से दूर मगर विश्वास अटूट… Darbhanga में नाव और चचरी पुल से नदी पार कर वोट डालने पहुंचे 1100 मतदाता, कहा — “हम हर बार सरकार बनाते हैं, लेकिन…”…कुशेश्वरस्थान पूर्वी | लोकतंत्र के इस महापर्व में जहां राज्यभर में उत्साह से मतदान हो रहा था, वहीं भरडीहा गांव (केवटगामा पंचायत) के मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए नाव और बांस से बने चचरी पूल के सहारे नदी पार करते दिखे।
विकास से कोसों दूर भरडीहा गांव
प्रखंड का यह भरडीहा गांव आज भी सड़क और पुल से वंचित है। ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी उन्हें बांस के चचरी पूल के जरिए ही पंचायत मुख्यालय या मतदान केंद्र तक जाना पड़ता है।
सिकंदर यादव, मुरारी यादव, नीरज पासवान, पावन दास, छोटू मांझी, किरण देवी और बिमला देवी सहित कई
ग्रामीणों ने कहा —
“हर साल हमलोग चंदा जुटाकर खुद ही बांस का पुल बनाते हैं। सरकार कहती है कि गांव-गांव में सड़क और पुलिया बनी है, लेकिन हम आज भी नाव और चचरी से गुजरते हैं।”
मतदान में नहीं कमी, लेकिन उम्मीद अधूरी
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के करीब 1100 मतदाता हैं, जो हर चुनाव में फकदोलिया बूथ संख्या 263 पर जाकर मतदान करते हैं।
लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार के बाद भवनहीन विद्यालय का निर्माण तो हुआ, लेकिन पुल निर्माण आज तक अधर में है।
“हम हर बार सरकार बनाते हैं, लेकिन हमारी जिंदगी अब भी नाव और चचरी पूल पर टिकी है,” — एक ग्रामीण ने कहा।
जनता के सब्र की परीक्षा
जहां एक ओर लोकतंत्र के प्रति ग्रामीणों की निष्ठा स्पष्ट दिखती है, वहीं विकास के वादों पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने चेताया कि अगर सड़क और पुल का निर्माण जल्द नहीं हुआ तो आने वाले चुनावों में वोट बहिष्कार किया जाएगा।
भरडीहा गांव के मतदाताओं ने विपरीत परिस्थितियों में भी लोकतंत्र के प्रति अपनी आस्था दिखाई है। लेकिन यह सवाल अब भी बाकी है — क्या लोकतंत्र के इस पर्व में विकास का पुल कभी इस गांव तक पहुंचेगा?








