29 साल पुराने गोलीकांड में दरभंगा कोर्ट का बड़ा फैसला! शिक्षक पर हमला करने वाले को 10 साल की सजा। 1996 में शिक्षक को मारी थी गोली, अब आज 11 जून 2025 को कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा। दरभंगा कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला!@दरभंगा,कोर्ट रिपोर्टर,देशज टाइम्स।
दरभंगा कोर्ट का फैसला: शिक्षक को गोली मारने वाले अभियुक्त को 10 साल सश्रम कारावास, ₹1 लाख जुर्माना
10 साल की सजा और ₹1 लाख जुर्माना उस शख्स को जिसने…एरियर के विवाद में मारी थी गोली, 28 साल बाद मिली सजा – दरभंगा कोर्ट का बड़ा आदेश। शिक्षक को गोली मारने वाले को कोर्ट ने भेजा जेल, नहीं भरे जुर्माना तो और बढ़ेगी सजा@दरभंगा,कोर्ट रिपोर्टर,देशज टाइम्स।
1996 के चर्चित फायरिंग कांड में प्रथम एडीजे की कोर्ट ने सुनाया फैसला
दरभंगा, देशज टाइम्स — लहेरियासराय थाना क्षेत्र के चकजोहरा निवासी मो. अली अशरफ को प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) संतोष कुमार पाण्डेय की कोर्ट ने 10 वर्षों का सश्रम कारावास और ₹1 लाख का अर्थदंड की सजा सुनाई है।
यदि आरोपी द्वारा अर्थदंड की राशि जमा नहीं की जाती है, तो उसे अतिरिक्त एक माह की कारावास भुगतनी होगी।
क्या है मामला? 1996 का है प्राणलेवा हमला
अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह मामला 29 मार्च 1996 की शाम का है। रतनपुरा गांव (तत्कालीन विशनपुर थाना, वर्तमान में मोरो थाना) में शिक्षक इजहारुल हसन को वेतन के एरियर भुगतान के विवाद को लेकर घर से बाहर बुलाकर गोली मार दी गई थी।
घायल शिक्षक को तत्काल इलाज के लिए डीएमसीएच ले जाया गया था। इस संबंध में विशनपुर थाना कांड संख्या 16/96 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
कोर्ट में लंबी चली सुनवाई
जानकारी के अनुसार, यह मामला सत्रवाद संख्या 457/96 के तहत कोर्ट में दर्ज हुआ। एपीपी ललन कुमार ने अभियोजन की ओर से पक्ष रखा। 9 जून 2025 को कोर्ट ने मो. अली अशरफ को दोषी करार दिया था। 10 जून को सजा के बिंदु पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सजा सुनाई गई।
पूरा मामला, एक नजर में ग्राफ से समझिए
तथ्य | विवरण |
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घटना की तिथि | 29 मार्च 1996 |
घटनास्थल | रतनपुरा, विशनपुर थाना (अब मोरो) |
आरोपी | मो. अली अशरफ |
पीड़ित शिक्षक | इजहारुल हसन |
सजा | 10 साल सश्रम कारावास |
अर्थदंड | ₹1,00,000 (न जमा करने पर 1 माह अतिरिक्त जेल) |
फैसला सुनाने वाली कोर्ट | प्रथम एडीजे, दरभंगा |
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि:
“यह घटना पूर्व नियोजित और जानलेवा इरादे से की गई थी।
समाज में भय उत्पन्न करने वाली घटनाओं पर कठोर दंड आवश्यक है।”
29 साल पुराने फायरिंग कांड में
लगभग 29 साल पुराने फायरिंग कांड में आखिरकार न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। यह फैसला न्याय व्यवस्था में जनता का भरोसा मजबूत करने वाला है। पीड़ित पक्ष ने अदालत के फैसले को “न्याय की जीत” बताया है।