दरभंगा से इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है। नए साल में दरभंगा को उसका प्रथम नागरिक मिलने जा रहा है। मेयर और उपमेयर का चुनाव बारह जनवरी को होना तय हुआ है।
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जानकारी के अनुसार, राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम के प्रस्ताव पर दरभंगा नगर निगम के महापौर और उप महापौर के चुनाव की तिथि आगामी 12 जनवरी 2022 को निर्धारित कर दी है। दरभंगा समाहरणालय में चुनाव होगा।
जानकारी के अनुसार, विशेष कार्य पदाधिकारी, राज्य निर्वाचन आयोग, बिहार की ओर से जिला पदाधिकारी-सह- जिला निर्वाचन पदाधिकारी (नगरपालिका), दरभंगा को पत्र निर्गत करते हुए कहा है कि बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007, बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली, 2007 के संगत प्रावधानों बिहार नगरपालिका अविश्वास प्रस्ताव प्रक्रिया नियमावली, 2010 के प्रावधानों तथा आयोग द्वारा पूर्व में निर्गत दिशा-निर्देश के अधीन दरभंगा नगर निगम के मुख्य पार्षद (महापौर) एवं उप मुख्य पार्षद (उप महापौर) पद पर 12 जनवरी 2022 को निर्वाचन कराने का निर्देश दिया गया।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि निर्वाचन संपन्न हो जाने के तुरंत बाद उसी दिन निर्वाचित मुख्य पार्षद (महापौर) एवं उप मुख्य पार्षद (उप महापौर) को सक्षम प्राधिकार द्वारा शपथ ग्रहण भी करा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मुख्य पार्षद (महापौर) एवं उप मुख्य पार्षद (उप महापौर) के निर्वाचन की संपूर्ण कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी करवाई जाएगी।
इसके साथ ही दरभंगा नगर निगम के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित सभी पार्षदों को 09 जनवरी 2022 तक इसकी सूचना उपलब्ध करा देने को कहा गया है।
इसके साथ ही नगर निगम की राजनीति एकबार नए साल के जश्न के बीच गरमा गया है। इससे पहले आपको पता ही होगा कि दरभंगा नगर निगम की मेयर बैजंती देवी खेड़िया और डिप्टी मेयर बदरुज्जमा खान समेत स्थायी समिति के सदस्यों को पद से मुक्त कर दिया गया है। साथ ही कई पार्षदों की भी कुर्सी चली गई है। इसको लेकर नगर विकास विभाग, पटना ने आदेश जारी किया है।
जानकारी के मुताबिक ये सभी शौचायल आवंटन घोटाला में दोषी पाए गए थे। 66 लाख रुपये में से 27 लाख रुपए छूट देने के मामले में जांच हुई थी। इसमें मेयर और डिप्टी मेयर सहित हटाए गए तमाम लोग दोषी पाए गए थे। इस संबंध में पार्षद मधुबाला सिन्हा और पूर्व पार्षद प्रदीप गुप्ता समेत कई ने प्रमंडलीय आयुक्त से शिकायत की थी। वहीं आयुक्त की जांच रिपोर्ट के बाद नगर विकास विभाग ने कार्रवाई की है।
जानकारी के अनुसार, शौचालय के 27 लाख रुपए की अनियमितता में मेयर, उप मेयर व तत्कालीन नगर आयुक्त दोषी ठहराए गए थे। दरभंगा नगर निगम में शौचालय की बंदोबस्ती में 27,19008 रुपए की अनियमितता
के मामले में नगर आयुक्त घनश्याम मीणा ने तत्कालीन महापौर समेत सशक्त स्थायी समिति एवं तत्कालीन नगर आयुक्त को दोषी ठहराया था। साथ ही कार्यकारी एजेंसी बिहार वेलफेयर ट्रस्ट को भी जिम्मेदार ठहराते हुए उक्त
राशि जमा करने का आदेश दिया था।
यूं हुई कार्रवाई
दरभंगा नगर निगम में यह मामला शौचालय घोटाले के नाम से चर्चित है। यह मामला वर्ष 2016 का है। हालांकि, वर्ष 2019 में पूर्व पार्षद प्रदीप गुप्ता समेत अन्य ने आयुक्त मयंक बरबरे को एक ज्ञापन सौंपकर भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। इसके बाद जांच शुरू हुई थी।
फिर क्या हुआ…मामला सत्य निकला
आयुक्त की ओर से कराई गई जांच प्रतिवेदन में बताया गया कि 25 अगस्त 2016 से 24 अगस्त 2019 तक नौ शौचालयों की बंदोबस्ती के उपरांत बंदोबस्ती राशि 66 लाख 585 रुपये में कुल 27 लाख 19 हजार आठ रुपए की अनियमित छूट देने का आरोप मेयर, डिप्टी मेयर और सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों के खिलाफ सत्य पाया गया है।
इस आलोक में सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों से स्पष्टीकरण मांगा गया। सदस्यों ने 22 सितंबर 2021 को जवाब भेजा। इसे अस्वीकार करते हुए विभाग ने समिति के सदस्य अजय जालान, सोहन यादव, सुबोध कुमार, मो. सिबगतुल्लाह, विनोद मंडल, आशा किशोर प्रजापति व नूसरत आलम को दोषी पाते हुए सभी को पदमुक्त कर दिया है।
शहर के 9 शौचालयों की तीन साल के लिए बंदोबस्ती हुई थी। बिहार वेलफेयर ट्रस्ट नामक कंपनी ने शौचालय बंदोबस्ती की उंची बोली लगाते हुए 22 लाख सालाना की दर पर 3 साल के लिए निविदा प्राप्त कर ली। इस हिसाब से कंपनी को निगम को 66 लाख रुपए भुगतान करना था। लेकिन इस बीच संवेदक ने राशि भुगतान करने के बजाय 3 शौचालय क्षतिग्रस्त बताकर 27 लाख रुपए माफ करने का आवेदन निगम को दिया।
संवेदक के आवेदन में किए गए दावे की जांच के लिए टीम बनाई गई। जांच रिपोर्ट में शौचालय को क्षतिग्रस्त बताया गया। इसके आलोक में सशक्त स्थायी समिति ने आवेदन को आगे की कार्रवाई के लिए नगर विकास एवं आवास मंत्रालय को भेज दिया । लेकिन मंत्रालय ने राशि माफ करने से मना कर दिया।
जिला पदाधिकारी डॉ. त्यागराज एसएम को इस मामले में पत्र भेजकर नगर आयुक्त ने एजेंसी को निर्देशित किया था कि राशि जमा नहीं करने पर नीलामवाद दायर किया जाए। डीएम ने इस पत्र को नगर विकास विभाग के सचिव को आगे की कार्रवाई के लिए अग्रसारित किया था। नगर आयुक्त ने डीएम को भेजे पत्र में इस मामले में तत्कालीन नगर आयुक्त व सशक्त स्थायी समिति को दोषी ठहराया था।
सशक्त स्थायी समिति में मेयर वैजयंती देवी खेड़िया, बदरूज्जमा खां, अजय कुमार जालान, सोहन यादव, सुबोध
कुमार, मो. सिबगतुल्लाह, विनोद मंडल, आशा किशोर प्रजापति व नुसरत आलम के नाम का उल्लेख था। तत्कालीन नगर आयुक्त डॉ. रविंद्र नाथ फिलहाल सामान्य प्रशासन विभाग में कार्यरत हैं।
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