

दरभंगा कोर्ट से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर आ रही है। जहां, रुपए के लेन-देन में लहेरियासराय थाना क्षेत्र के अभंडा मोहल्ला में राजीव रंजन यादव उर्फ राजू यादव (Rajiv Ranjan Yadav murder) की जधन्य हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए जिला जज ने बड़ी सजा सुनाई है।
इसमें हत्या के जुर्म में कोर्ट ने बुधवार को राजा यादव और हीरा यादव (Heera and Raja Yadav get life imprisonment) को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही पचास-पचास हजार का अर्थदंड भी लगाया है।
अतिरिक्त सामान्य कारावास भुगतना पड़ेगा
जानकारी के अनुसार, राजा यादव और हीरा यादव अगर अर्थदंड नहीं देंगे उस हालत में दोनों अभियुक्त को छह-छह माह का अतिरिक्त सामान्य कारावास भुगतना पड़ेगा। इस मामले में अदालत ने दोनों अभियुक्त को हत्या मामले में सोमवार को दोषी करार दिया था।
इसकी सुनवाई करते हुए जिला जज की अदालत ने दोनों अभियुक्त से वसूले गए एक लाख रुपये अर्थदंड मृतक की विधवा पत्नी ममता देवी को बतौर प्रतिकर सहायता राशि प्रतिकर की धारा 357(l)(b) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत प्रदान करने का निर्णय पारित किया है।
अपर लोक अभियोजक चमक लाल पंडित
के अनुसार यह मामला तीन वर्ष, 9 माह, तीन दिन पूर्व लहेरियासराय थाना क्षेत्र के अभंडा मुहल्ला में राजीव रंजन यादव उर्फ राजू यादव की जधन्य हत्या कर दिया था। मृतक की मां सुशीला देवी के फर्दब्यान पर लहेरियासराय थाना में घटना की प्राथमिकी 8 फरवरी 2019 को प्राथमिकी संख्या 43/19 दर्ज हुई थी। चौधरी यादव के दोनों पुत्र के बिरुद्व आरोप है कि उसने धारदार हथियार से राजू का गर्दन काट दिया और पेट फार दिया।जिसके कारण वह सड़क पर गिर गया।
अभियुक्त हीरा यादव घटना से कुछ माह पूर्व पांच लाख कैश लिया था। रुपया लौटाने के लिए कहने पर उसके साथ विवाद भी किया था। रुपए की लेन देन को ही लेकर उसकी निर्मम हत्या कर दिया। इसका सत्रवाद संख्या 329/19 के तहत अदालत में चल रहा है।
इस मामले में अभियुक्त राजा यादव को 25 फरवरी 2019 से और हीरा यादव 8 मार्च 2019 से काराधीन है। अदालत ने दोष सिद्ध अपराधियों की सजा की अवधि निर्धारित के लिए 19 जनवरी की तिथि निर्धारित किया है।
श्री पंडित ने अभियोजन पक्ष की ओर से मुस्तैदी से अभियोजन पक्ष रखा। अदालत में छह गवाहों की गवाही कराईं गई। वहीं, कानूनी बारीकी से अभियोजन पक्ष को संचालित किया।
इस वजह से तीन वर्ष नौ माह तीन दिन के अन्दर इस मामले में दो सहोदय भाई को दफा 302/34 भादवि में सश्रम आजीवन कारावास की सजा दिलाने में सफल रहे।








