Vidyapati Smriti festival Surat: मिथिला क्षेत्र से 2 हजार किमी दूर… मैथिली भाषा, पाग, चादर से सजी जनक नंदनी और विद्यापति की विरासत …जय-जय भैरवी। सूरत में मिथिला की गौरवगाथा का अद्भुत गान। झलकी मिथिला की संस्कृति का भव्य गाथा…विद्यापति स्मृति पर्व सूरत में हजारों मिथिलावासियों ने दिल से मनाया सांस्कृतिक गौरव का उत्सव…
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दरभंगा/सूरत, देशज टाइम्स। मिथिला समाज सूरत के तत्वावधान में आयोजित बाबा विद्यापति स्मृति पर्व समारोह में दरभंगा सांसद डॉ. गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि आज देश के कोने-कोने में नवीन मिथिला का निर्माण हो चुका है, जो हम सभी के लिए गौरव का विषय है।
पाग-चादर से सम्मानित हुए सांसद डॉ. ठाकुर
समारोह का उद्घाटन सांसद डॉ. ठाकुर ने दीप प्रज्वलित कर किया।
आयोजन समिति ने उन्हें पाग और अंगवस्त्र से सम्मानित किया।
सांसद ने कहा कि दरभंगा से दो हजार किलोमीटर दूर मातृभूमि के गौरव समारोह में आमंत्रित होना उनके लिए गर्व और प्रसन्नता की बात है।
देशभर में फैली मिथिला की पहचान
सांसद डॉ. ठाकुर ने कहा कि मिथिला वासी आज कन्याकुमारी से कश्मीर और पोरबंदर से सिलचर तक देश के हर कोने में फैले हैं।
ऐसे आयोजनों के माध्यम से मिथिला संस्कृति और मैथिली भाषा को राष्ट्रीय पहचान मिल रही है।
आपसी समन्वय और एकजुटता का यह आयोजन सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।
विद्यापति की रचनाओं से जीवित है मिथिला की आत्मा
सांसद ने कहा कि बाबा विद्यापति की रचनाओं ने मिथिला क्षेत्र की ज्ञान, संस्कार और संस्कृति को एक विशेष पहचान दी है।
विद्यापति की साहित्यिक धरोहर ने हर मिथिलावासी के हृदय में आज भी अपनी अमर उपस्थिति बनाए रखी है।
मोदी सरकार की पहल से मैथिली का विस्तार
सांसद डॉ. ठाकुर ने केंद्र सरकार की सराहना करते हुए कहा:
मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
सीबीएसई बोर्ड में मैथिली को पढ़ाई का हिस्सा बनाया गया।
भारतीय संविधान का मैथिली अनुवाद कर विमोचन किया गया।
संसदीय कार्यों में मैथिली भाषा को शामिल कर न्यायिक और वैधानिक कार्यों में भी इसे मान्यता मिली है।
मिथिलामय हुआ सूरत का वातावरण
इस समारोह में मैथिली लोकगीतों के नामचीन कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।
उनके मधुर गायन से समारोह का वातावरण पूरी तरह मिथिलामय हो उठा।
हजारों की संख्या में पहुंचे मिथिलावासियों ने अपनी संस्कृति के प्रति गर्व का प्रदर्शन किया।
विद्यापति स्मृति पर्व सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं
सूरत में आयोजित यह विद्यापति स्मृति पर्व सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को देशभर में फैलाने और नई पीढ़ी को जोड़ने का एक मजबूत प्रयास भी था।