दरभंगा का एक सुदूरवर्ती प्रखंड है किरतपुर। यहां समस्याओं की कमी नहीं है। यहां के लोग यही कहते हैं, मैं क्या बताऊं कैसी परेशानियों में हूं, काग़ज़ की एक नाव हूं और पानियों में हूं….! पानियों के बीच रहना यहां के लोगों की फितरत में है। चाहे बाढ़ आए या जाए। यहां जलजनित समस्याओं से लोग हरवक्त प्रभावित रहते हैं। ताजा मामला प्रखंड क्षेत्र के गेहूंआ नदी के उफनाने और फिर शांत होने के बाद से हो रही दिक्कतों का है।
स्थानीय स्तर पर गेहूंआ नदी को कमला बलान नदी से जोड़ने की मांग बलबती रूप से उठ रही है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि ऐसा हो जाता है तो हर साल लाखों के नुकसान से बचा सकता है।
जानकारी के अनुसार, गेहूंआ का पानी कमा है। सात पंचायतों के हालात सामान्य हुए हैं। मगर, यहां के लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही। तीन दिनों पानी कम हो जाने के बाद भी किरतपुर पंचायत, झगरूआ, झगरूआ तरवारा, जग्सो, कुबौल ढंगा पंचायत के मुख्य सड़कों पर पानी जमा ही है।
हालांकि, सीओ आशुतोष सन्नी कहते हैं कि पहले से सात जगहों पर नाव का परिचालन कराया जा रहा था। दो जगह और परिचालन कराया जा रहा है। यानी नौ जगहों पर परिचालन के बीच लोगों के आने जाने के लिए सिर्फ नाव ही सहारा है।
मगर, सबसे अधिक परेशानी किसानों के सामने मवेशियों के चारे की है। झगरूआ पंचायत के किसान सुबह नाव से ही मवेशियों का चारा लाने के लिए निकल जाते हैं। शाम 4 बजे चारा लेकर आते हैं।
इस बीच में घर पर छोटे-छोटे बच्चों की चिंता लगी रहती है। कहीं वह खेलते खेलते पानी में नहीं चला जाए। यदि गेहूंआ नदी को कमला बलान नदी से जोड़ दिया जाए तो हमलोगों को हर साल लाखों के नुकसान से बचा सकते हैं।