कुशेश्वरस्थान पूर्वी। प्रखंड क्षेत्र में आयी असमय बाढ़ ने काफी तबाही मचा रखी है। यहां की सभी नदियों में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। इससे सैकड़ों एकड़ में लगा मक्के का फसल बाढ़ की पानी मे डूब चुका है।
किसान नाव के सहारे से अपने डूबे हुए मक्के को दिन रात मेहनत कर इस उम्मीद में छानने में लगे हैं। शायद खाने के लिए कुछ बच जाए। अपने सभी परिवार के साथ नाव पर बैठ बारिश और चिलचिलाती धूप में सारा दिन मक्के को बचाने में लगे है। किसानों को जहां जहां सूखा स्थान मिल रहा है वहीं डूबे हुए मक्के को सुखाने में लगे है। ताकि दो वक्त का रोटी अपने परिवार को खिला सके।
कमर तक पानी में कंधे पर मक्के का बोरा लिए किसान बाबू साहेब चौपाल बताते है कि बाजार में महाजन से कर्ज लेकर मक्के का फसल किया था। फसल कटने के बाद उसे बाजार में बेचकर महाजन का कर्ज भी चुकाना था और परिवार भी इसी में चलाना था पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था। अचानक आयी इस असमय बाढ़ ने हमलोगों का सब कुछ बर्बाद कर दिया घर मे बूढ़े मां बाप के आलावे दो भाई और तीन छोटे छोटे बच्चे है।
मक्के का दाना पानी मे सड़ चुका है इस स्थिति में कहां से महाजन का कर्ज चुका पाएंगे और कहां से अपने परिवार का पालन पोषण। इतना बात बात कहते ही बाबू चौपाल के आंख से आंसू निकलने लगे। ऐसा अकेला बाबू ही नही बल्कि प्रखंड क्षेत्र में दर्जनों नहीं सैकड़ों किसान हैं, जिसका बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।