दरभंगा (हायाघाट)। दरभंगा जिले के हायाघाट स्थित वर्षों से बंद पड़े अशोक पेपर मिल की खाली जमीन अब एक नए और आधुनिक प्रोजेक्ट के लिए उपयोग में लाई जाएगी। 330 एकड़ में फैली इस जमीन पर ड्रोन निर्माण संयंत्र की स्थापना की जा रही है।
परियोजना की खास बातें
- मंत्रालय और संस्थानों का सहयोग:
यह संयंत्र सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) और सीआरटी विंग के सहयोग से स्थापित होगा। - आईआईटी चेन्नई की भागीदारी:
आईआईटी चेन्नई के वाइस प्रेसिडेंट विपुल भल्ला ने परियोजना स्थल का निरीक्षण किया। - पीपीपी मोड पर निर्माण:
परियोजना को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड में क्रियान्वित किया जाएगा। - रोजगार के अवसर:
संयंत्र के जरिए एक लाख से अधिक रोजगार सृजित किए जाने का अनुमान है।
स्थानीय नेतृत्व की भूमिका
हायाघाट के विधायक डॉ. रामचंद्र प्रसाद ने वर्षों से बंद पड़े अशोक पेपर मिल की भूमि के पुनः उपयोग की दिशा में यह बड़ी पहल की है। उन्होंने कहा:
- “यह परियोजना न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर भी देगी।”
- निरीक्षण के दौरान उन्होंने टीम को विश्वास दिलाया कि यह संयंत्र क्षेत्र के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
परियोजना स्थल का निरीक्षण
निरीक्षण के दौरान उपस्थित प्रमुख व्यक्ति:
- शूलपाणि सिंह
- भाजपा मंडल अध्यक्ष जय गोपाल चौधरी
- अनिल मंडल
- राजीव सिंह
ड्रोन निर्माण संयंत्र की संभावनाएं
ड्रोन निर्माण संयंत्र के जरिए:
- तकनीकी क्षेत्र में विकास: भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बल मिलेगा।
- स्थानीय उद्योग को बढ़ावा: आसपास के क्षेत्रों में छोटे और मध्यम व्यवसायों को फायदा होगा।
- युवाओं के लिए रोजगार: हायाघाट और दरभंगा जिले के हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
अशोक पेपर मिल से ड्रोन हब तक का सफर
वर्षों से बंद पड़े अशोक पेपर मिल ने कभी इस क्षेत्र को औद्योगिक पहचान दी थी। अब इस नई परियोजना के जरिए, यह जगह ड्रोन हब के रूप में विकसित होगी। यह बदलाव दरभंगा और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आ रहा है।
निष्कर्ष:
यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय विकास को गति देगी, बल्कि बिहार को तकनीकी क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। हायाघाट अब उन्नति की नई कहानी लिखने के लिए तैयार है।