निर्मली। कोसी के गर्भ में बसे हजारों विस्थापित परिवारों को पुनर्वासित करने में सरकारी अब तक विफल हैं। पश्चमी कोसी बांध के किनारे और जहां-तहां बसे परिवारों को बसाया भी नहीं गया । वहां सरकारी सुविधाओं से भी ये लोग वंचित हैं। इन लोगों में आज भी कई ऐसे नाम हैं जिसका नाम बीपीएल परिवार के सर्वेक्षित सूची और मतदाता सूची में नाम तक शामिल नहीं हैं।
विस्थापित परिवारों का कहना हैं कि 1947 के बाद कई सरकारें आई और गई लेकिन विस्थापन का दंश झेल रहे इन परिवारों की सुधि किसी ने नहीं ली । कमलपुर पंचायत के कोसी तटबंध के किनारे बसे किसुन देव राम,गंगा राम,कारी राम,मो मुस्ताक,डागमारा पंचायत के पिपराही कोसी बांध किनारे श्याम मुखिया, सुंदर कामत,नागेश्वर कामत,बच्चू मुखिया ,सत्य नारायण कामत आदि बताते हैं कि वे लोग बांध किनारे सरकारी भूमि पर वर्षों से बसे हुए हैं। उन लोगों ने कई बार अंचल,अनुमंडल से लेकर जिला कार्यालय तक पुर्नवास की मांग को लेकर आवेदन भी दिया लेकिन उनकी मांगों पर अब तक किसी ने ध्यान नही दिया । इन तीन पंचायत के हजारो परिवार आज भी स्थायी बसोबास का दर्द झेल रहा हैं। इस गरीब के लिए विधायक और सांसद भी उदासीन बने हुए हैं। दूसरी ओर सरकार ने कोसी के पश्चमी और पूर्वी तटबंध के बीच परिवारों के लिए 1985 में एक कोसी क्षेत्रीय विकास प्राधिकार का गठन तो कर दी परन्तु उसे पूर्णतः लागू नहीं कर पा सकी । कोसी क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के प्रथम अध्यक्ष स्व.लहटन चौधरी राजस्व मंत्री को बनाया गया था।जिनके कार्यकाल में कोसी के गर्व में बसे लोगों को सुविधा देने हेतु सर्वेक्षण कराया गया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नही हुई ।
कोसी के गर्व में कई धुरंधर राजनेता ने कोसी पर राजनीतिक किया लेकिन किसी ने अपने कार्यकाल में कोसी के गर्व में बसे लाखों लोगों के लिए विस्थापित होने के बाद उन्हें पुनर्वासित कराने का काम नहीं किया।आज भी कोसी के लोगों वही है जहाँ पहले थे।