मई,6,2024
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Bihar Politics | परिवारवाद बबुआ कबहुं ना जईहे…

मौजूं राजनीति की जिद है | बोलना है| परिवारवाद पर कुल्हड़, नस्तर चलाने हैं| चलेंगे...चल रहे हैं | मगर, खबर पढ़ने से पहले यह Disclaimer है...| मैं किसी वाद, किसी दल विशेष के बंधन से मुक्त हूं | मैं वही लिखता हूं, जिसे आप सीधे चश्मे से झुठला नहीं सकते | हां, गर उल्टा चश्मा हो... बहुत उठापटक होगी | संकल्प टूटेंगे| आशाएं बुझेंगी। लफ़्ज प्यासे होंगे | मस्तिष्क में सवालों के फेरे होंगे | मगर...कोई रोक नहीं सकता आजीवन संघर्षरत सत्य कर्म को...| मगर खबर की शुरूआत उस पीड़ा से जहां...Sushil Kumar Modi (मोदी का परिवार) का आज दु:खद ट्वीट आया है...। मन विचलित है...। क्योंकि, मैं किसी सिबंल के वाद में जकड़ा नहीं हूं...। कारण । हालात यही है। झूठ सुनने की आदत पड़ गई है | सच बोलने वाले कहां चिल्लाते हैं...| जो समस्या ही नहीं है | उसे मुद्दा बनाएं बैठे हैं | और, हकीकत में जो समस्या है | उससे नजरे चुराएं बैठे हैं....| क्योंकि...कीचड़ सिर्फ पांव पर ही गिरे या समूचे देह पर...शुचिता की गुंजाइश खत्म... बेकार...बेमानी, बेमतलब, निराश्य से सरोबार ही दिखता है...जहां आज अनर्गल ये प्रलाप...परिवारवाद बबुआ कबहुँ ना जईहे...|

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Bihar Politics परिवारवाद बबुआ कबहुँ ना जईहे…वंश के नाव पर हर दल बैठा है। कोई इस वंशवादी व्यवस्था से भिन्न, अलग नहीं है। भले, अंगुली किसी एक दल या विशेष दल या विशेष व्यक्ति पर उठे। लेकिन, इसके जद में हर कोई है। लिखना मना है। लिख नहीं सकते। लिखने पर पार्टीगत पोस्टर सीने पर चिपक जाते हैं। अरे, ये बीजेपी का विरोधी है। अरे ये मोदी भक्त है। अरे ये फलाना पार्टी का प्रचारक है। लेकिन, सत्य-सत्य होता है। इसे स्वीकारना उस जनता के हाथ में है, जो परिवारवाद के नारे को कितना समझ, स्वीकार और तिरस्कार, अनदेखी को अपनाता है। इसे समझना होगा। जहां…,

Bihar Politics | वंशवाद, परिवारवाद की जड़ कोई एक प्रदेश या एक नेता के परिवार में नहीं है 

वंशवाद, परिवारवाद की जड़ कोई एक प्रदेश या एक नेता के परिवार से नहीं जुड़ा है। कमतर यह छूअन और टूटन के साथ हर सिबंल में है। यह हर उस सिस्टम से जुड़ गया है, जहां पेशागत परंपरा खुलेआम है। वैसे, ताजा मामला बिहार के राजद से जुड़ा है। इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे लेकिन पहले चलते हैं वहां जहां कोई आता जाता नहीं…सिर्फ परिवारवाद ही है जो हर राज्यों की हर तह में परिवारवाद की जड़ें मजबूत कर रहा। काफी लंबी-चौड़ी फेहरिस्त के साथ उसे सींच रहा। संवार रहा। सत्ता के सिंहासन पर लाभान्वित है। खड़ा है। कहीं कोई पछतावा नहीं। कहीं कोई तमंगा नहीं। कहीं कोई शिकायत नहीं।

खबर को और आगे विस्तार देने से पहले, चलो यूं कर लें।थोड़ा प्रिय उस कविमन, राजनीतिज्ञ के पुरोधा अटल को याद कर लें…जहां दाग बड़े गहरे हैं…

गीत नहीं गाता हूं
बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

Bihar Politics| वंशवाद की जड़ राजनीति की तह-तह, हर नफस, हर खून, हर सोच में,

वंशवाद की जड़ राजनीति की तह-तह, हर नफस, हर खून, हर सोच में है। इसे जड़मूल से नाश असंभव है। ऐसे में, वंशवाद पर बोलना, जनता को भ्रमित करना है। जनता इसी भ्रम में जी भी रही है। क्योंकि, आज की जनता के पास नजरिया कम होते जा रहे। दल का ठप्पा लगाकर दलगत हो जाना, सही है। यह उस विचारधारा से जुड़ा है जिसका आवरण उस व्यक्ति विशेष को किसी ना किसी कोण से प्रभावित करते हैं। मगर, बिना दल विशेष से जुड़े। दल विशेष की बातें करना, उसे विस्तारित करना समय उस देश हित में नहीं जहां से थोप कमतर नहीं अग्रसर हो रहा है। आंखें खोलो। देखो। सही और गलत को समझो। मगर, समझ कौन रहा। यह हो कहां रहा। दल, दूसरे से दिल नहीं लगाएंगें। अपनी बात सही करने पर आमादा दिखेंगे। मगर, जनता की सोच क्या कहती है। उस सोच को विस्तार देने की जरूरत है जहां…

Bihar Politics | बिहार में एक दल की सबसे बड़ी कैंपेन ही परिवारवाद के जद से

बिहार में एक दल की सबसे बड़ी कैंपेन ही परिवारवाद के जद से शुरू होने वाला है। परिवार के लिए ही परिवारवाद पर सबसे बड़े प्रहार करने वाले, उसी परिवार के लिए सर्वोच्च वोट मांगेंगे मगर,करेंगे परिवारवाद का विरोध। यह दोहरी मानसिकता हर दल में है। यही वजह है कि जमीनी कार्यकर्ता हर संगठन से दूर होते जा रहे हैं। कांग्रेस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। बीजेपी के भी जमीनी नेता हाशिए पर तब धकेले जा रहे, जब कांग्रेस की सड़ांध से निकले नेता बीजेपी में आते ही उच्च पद पा रहे। नाम एक का लूं तो कहेंगे खास पर चर्चा हो रही। यहां तो पंगत लगी है। हर प्रोडक्ट ही धुलकर आ रहा है। जो पहले से धुलकर बैठे थे, जमींदोज हो रहे। उनका मनोबल टूट रहा। यही वजह है, आज देश का सबसे बड़ा दल कमजोर आंका जा रहा। क्योंकि उसके पास कार्यकर्ताओं की फौज नहीं है। जिसके पास है, कब तक रहेंगे, हालात बेहद मुश्किल। समय बेहद नाजुक।

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Bihar Politics | तीनों प्रमुख दलों के नेताओं ने अपने ही परिजनों को जनता पर थोप दिया है

कर्नाटक में देखिए। तीनों प्रमुख दलों के नेताओं ने अपने ही परिजनों को जनता पर थोप दिया है। इसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों में जमीनी असंतोष साफ है। अपने पुत्र को टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा के सबसे पुराने नेता केएस ईश्वररप्पा का बगावती तेवर सामने है। बात जेडीएस की करें या राजस्थान के हालात पर गौर फरमाएं। अब देखिए ना, कांग्रेस तो इस दलदल में था ही। बीजेपी भी परिवार के लपेटे में है। राजस्थान में दुष्यंत सिंह, वसुंधरा राजे के पुत्र, ज्योति मिर्धा नाथूराम मिर्धा की पौत्री, सौमेंदु अधिकारी सुवेंद्रु अधिकारी के भाई। बिहार में भी एनडीए गठबंधन में परिवार की पूरी इंट्री हो चुकी है। इससे बचना मुश्किल है।

Bihar Politics | बुधवार, 03 अप्रैल को यह बवंडर

ऐसे में, लालू यादव अपनी दो बेटियों मीसा भारती और रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा। तो बीजेपी ने परिवारवाद को लेकर निशाना साधा। अब लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने पलटवार किया है। एनडीए प्रत्याशियों के परिवारवादी पूरी लिस्ट की माला ही पिरो दी है। कुंडली खंगाल दी जब बुधवार, 03 अप्रैल को आरजेडी के एक्स हैंडल से एक पोस्ट जारी करते हुए परिवारवाद पर निशाना साधा।

Bihar Politics | कोई किसी का बहनोई है तो कोई किसी की पत्नी

आरजेडी की ओर से जिन नामों की लिस्ट जारी की गई है उनमें एनडीए में शामिल दलों के वैसे नेता हैं जो इस बार लोकसभा का चुनाव बिहार में लड़ेंगे। इस लिस्ट में वैसे नाम हैं जो किसी के बेटे हैं, कोई किसी का बहनोई है तो कोई किसी की पत्नी है।

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Bihar Politics | हमला पर हमलावर

इससे एक दिन पहले ही, मंगलवार को ही बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह कहा था, लालू यादव का परिचय है परिवारवाद, हम लोग चिंतित हैं कि लालू यादव दो बेटा और दो बेटी को तो उतार दिए लेकिन पांच बेटियां और बची हुई हैं। उनको कब उतारेंगे यह भी बताएं। अब आरजेडी ने इस लिस्ट के सहारे एनडीए पर जमकर निशाना साधा है। आरजेडी ने एक्स हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा, बिहार चुनाव में मोदी के परिवार, NDA यानी बीजेपी-जेडीयू-लोजपा का परिवारवाद सबसे अधिक… कार्यकर्ता परेशान!

Bihar Politics | फेहरिस्त बड़ी लंबी है…

आरजेडी ने लिस्ट में इन नामों को किया शामिल उसमें, पटना साहिब- रविशंकर प्रसाद- पूर्व मंत्री जनसंघ संस्थापक सदस्य ठाकुर प्रसाद के बेटे सासाराम- शिवेश राम- पूर्व केंद्रीय मंत्री मुन्नी लाल के बेटे हाजीपुर-चिराग पासवान- रामविलास पासवान के बेटे जमुई- अरुण भारती- रामविलास पासवान के दामाद समस्तीपुर- शांभवी चौधरी- मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और पूर्व मंत्री स्व. महावीर चौधरी की पौत्री, शिवहर-लवली आनंद-पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी, विधायक चेतन आनंद की माता, वाल्मीकिनगर-सुनील कुमार- पूर्व मंत्री बैद्यनाथ महतो के बेटे प.चंपारण-संजय जायसवाल-पूर्व सांसद मदन जायसवाल के बेटे
मधुबनी- अशोक यादव- पूर्व मंत्री हुकुमदेव यादव के बेटे, वैशाली- वीणा देवी- जेडीयू एमएलसी दिनेश सिंह की पत्नी, सीवान-विजय लक्ष्मी कुशवाहा- पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा की पत्नी, औरंगाबाद-सुशील कुमार सिंह-पूर्व सांसद राम नरेश सिंह के बेटे
नवादा-विवेक ठाकुर-पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे।

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Bihar Politics | मगर, इस परिवारवाद की बात यहीं खत्म नहीं होती…

मगर, वंशवाद इस परिवारवाद की बात यहीं खत्म नहीं होती। राजनीति में परिवारवाद का संबंध उस जड़, पानी और मिट्‌टी से सना है जहां विधानसभा लड़ने वालों की सूची खंगालें तो कई महारथी परिवारवाद के कंबल से निकलेंगे। जहां, हर दल की मूंछ ताव नहीं खा सकेंगे। झूक जाएंगें। अब इसे आप क्या कहेंगे…देखिए जहां,राजद से टिकट नहीं मिलने पर मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब लालू और तेजस्वी यादव के खिलाफ जोरदार हमलावर है। या फिर वही राजस्थान जहां भाजपा ने एक ही परिवार से एक को ही टिकट के फार्मूले को तोड़ते हुए राजमंदर के विधायक विश्वनाथ सिंह को टिकट दिया है। और, यूपी में मेनका गांधी को टिकट और वरूण गांधी का पत्ता साफ कर दिया है। या फिर, बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी, या रामविलास पासवान के दो धटक, सभी परिवारवाद से नैया पार कर रहे, जहां बिहार के सीएम नीतीश कुमार का परिवार के वाद से दूरी, उस जननायक भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की इच्छाओं के विरूद्ध उनके पुत्र का राजनीति में प्रवेश…परिवारवाद की छटपटाहट भी है…चीख भी…जहां…परिवारवाद बबुआ कबहुँ ना जईहे…

Bihar Politics | मन आज दुखी है। कारण, Sushil Kumar Modi…

मगर, मन आज दुखी है। कारण, Sushil Kumar Modi (मोदी का परिवार) का आज दु:खद ट्वीट ने मन को विचलित कर दिया…है। पिछले 6 माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है।

लोक सभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा । PM को सब कुछ बता दिया है । देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित| यह मैं परिवारवाद के बीच ऐसा यूं इस खबर को समावेश किया…ये जूनियर मोदी बिहार के अहम स्तंभ हैं। राजनीतिक विरासत को सचेष्ठ करते रहे हैं। कोई भी परिवार यह नहीं चाहेगा, उसका भाई, उसका बेटा, उसका परिजन यूं…खुद को असहज… सच मानो तो…मनोरंजन ठाकुर के साथ…..।

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