पिछले साल सितंबर वर्ष 21 से शुरू बिहार में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा अभी भी रह-रहकर उजागर हो रहा है। इसका पूरा रैकेट बिहार के दरभंगा से लेकर हर कोने में छुपकर अपना सिंडिकेट चला रहे हैं। उन सालों में जिन शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी निकले थे।
उन पर सरकार ने कितना एक्शन लिया यह बाद की बात है। सवाल यह है कि शिक्षा विभाग के पोर्टल पर नियोजन इकाइयों ने 49348 चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र अपलोड किए थे जिनमें फर्जीवाड़े की बू से विभाग की भी नींद उड़ गई थी। ताजा मामला, प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में TET का डुप्लीकेट सर्टिफिकेट देकर नौकरी लेने का सामने आया है।
जानकारी के अनुसार, राज्य में वर्ष 21 में ही चली 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की नियोजन (Recruitment Process of 94 thousand teachers) प्रक्रिया के दौरान जांच में फर्जी प्रमाण पत्र पकड़े गए थे। मगर, विस्तारित कार्रवाई नहीं होने से मामला लगातार बढ़ता जा रहा है।
उन दिनों जिन चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी (Fake Certificates) निकले हैं उन पर सरकार एक्शन लेने की बात कही थी। शिक्षा विभाग के पोर्टल पर नियोजन इकाइयों की ओर से 49,348 चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र अपलोड किए गए जिनकी जांच में क्या निकला यह छोड़िए। इसमें 632 प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। इस मामले में संबंधित अभ्यर्थियों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
उस साल भी, इनमें से नालंदा में 63, बक्सर में 121, सारण में 23, नवादा में 42, बेगूसराय में 19 चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र पर फर्जी पाए गए थे। शेष चयनित अभ्यर्थियों के भी मैट्रिक और इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र, अंक पत्र, शिक्षक प्रशिक्षण प्रमाण पत्र, अंक पत्र, दक्षता परीक्षा यानी टीईटी उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, अनुभव प्रमाण पत्र मेधा सूची प्रमाण पत्र, नियुक्ति प्रमाण पत्र, जातीय प्रमाण पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों की जांच कराई गई थी।
मगर, हद यह इन सख्ती के बाद भी फर्जीवाड़े बढ़ ही रहे। शिक्षकों की नियुक्ति में लगातार फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। फिलहाल, प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में टीईटी का डुप्लीकेट सर्टिफिकेट देकर नौकरी ले ली गई है। शिक्षा विभाग ने फिलाहल ऐसे 445 अभ्यर्थियों को चिन्हित किया है। इन अभ्यर्थियों ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास किए जाने का फर्जी प्रमाण पत्र दिया है। इसकी पूरी जांच कराई जा रही है।
नियोजन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद 18 अप्रैल को अलग-अलग नियोजन इकाईयों में 1377 अभ्यर्थियों का चयन अंतिम रूप से किया गया था। इनमें से 932 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र भी दिया जा चुका है लेकिन, विभाग ने अंतिम रूप से चयनित कुल 445 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर फिलहाल रोक लगा दी है।
शिक्षा विभाग के मुताबिक सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा गोपालगंज जिले में हैं। 445 में से अकेले गोपालगंज के 223 अभ्यर्थी शामिल हैं। नियोजन के विशेष चक्र के तहत जिले में 573 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इनमें से 350 को ही नियुक्ति पत्र दिया गया है बाकी बचे 223 अभ्यर्थियों के TET सर्टिफिकेट की जांच का काम चल रहा है।
इसके अलावा मोतिहारी और बेतिया में 80–80 अभ्यर्थी, मधुबनी में 38, नालंदा में 15, मुजफ्फरपुर और नवादा में 3–3, भोजपुर में 2, कटिहार सारण सीतामढ़ी में एक-एक अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनके सर्टिफिकेट की जांच की जा रही है।
फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने का प्रयास करने वाले अभ्यर्थियों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी है। जांच में पुष्टि होने के बाद गुमराह करने वाले सभी अभ्यर्थियों पर केस दर्ज किया जाएगा। फिलहाल इस मामले में विभाग ज्यादा जानकारी देने से बच रहा है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षकों के चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच कराई जा रही है, जिन संस्थानों से प्रमाण पत्र निर्गत किए गए हैं वहां से उसका सत्यापन कराया जा रहा है। जिन चयनित शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पकड़े जा रहे हैं उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है। यदि जांच में संबंधित नियोजन इकाई दोषी पाया गया तो उस पर भी प्राथमिकी दर्ज करा कर कार्रवाई होगी।
इसके साथ ही, गत मार्च में नालंदा में शिक्षक नियोजन में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। इसमें 25 शिक्षकों की नियुक्ति फर्जी पाई गई है ।उनका सेवा समाप्त कर दिया गया है। साथ ही सरकार ने पैसे वसूलने का भी आदेश दिया है।
क्या था मामला
शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर बहाल शिक्षकों की जांच में नालंदा में रोज नए- नए तथ्य सामने आ रहे हैं। जिले में फर्जी शिक्षकों की बहाली का रैकेट चल रहा है। नए खुलासे के अनुसार बिना किसी विभागीय आदेश के ही 25 नियोजित शिक्षकों की अवैध नियुक्ति कर ली गई थी।
दबाव डालकर योगदान कराया गया
खास बात ये है कि स्कूल के प्रधानाध्यापक पर दबाव बनाकर शिक्षकों को स्कूलों में योगदान भी करवाया गया। नियुक्ति के 5 साल बाद उनके नियोजन को अवैध करार दिया गया है और 25 प्रखंड शिक्षकों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया गया है।