जेएनयू कांड के बाद से देश और दुनिया की मीडिया में छाने वाले और बिहार में तेजस्वी और चिराग के बाद सबसे युवा आइकन कन्हैया कुमार इन दिनों बेहद चर्चा में हैं। चर्चा है, उनका वामपंथ की राजनीति से मोह भंग होने वाला है और कांगेस को उनसे प्यार हो गया है।
जय बाबा केदार..!
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कन्हैया कुमार वहीं हैं जो विधानसभा चुनाव से पहले पूरे बिहार में बड़ी-बड़ी रैली की थी। भारी संख्या में लोग उन्हें सुनने के लिए पहुंचते थे। हालांकि कई जगहों पर उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा था। मगर, अब जो खबर आ रही है वह बेहद ही राजनीतिक घटनाओं से भरा है।
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ कन्हैया कुमार की मुलाकात ने बिहार की राजनीति में एक नए दौर की चर्चाओं का आगाज कर दिया है। इस मुलाकात से इस बात के कयास भी लगाए जा रहे हैं कि कन्हैया कुमार वामदलों की राजनीति को छोड़कर कांग्रेस का हिस्सा हो सकते हैं।
कुछ यूं भी कारण है कि कन्हैया कुमार की अपनी ही पार्टी से नहीं बन रही। ऐसे में पार्टी के बड़े नेताओं से अच्छे नहीं हैं। हैदराबाद में हुई सीपीआई की एक बैठक में तो अनुशानहीता का आरोप लगाकर उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया था। इसी घटना के बाद कन्हैया कुमार ने पार्टी मुख्यालय का अपना दफ्तर भी खाली कर दिया। कुछ लोगों का मानना है कि कम उम्र में उनकी लोकप्रियता ने बड़े नेताओं को असहज कर दिया है।
ऐसे में, कन्हैया कुमार को कांग्रेस में लाने की सलाह पीके ने पार्टी लीडरशिप को दी है। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी से कन्हैया कुमार की मुलाकात भी हो चुकी है।
प्रशांत किशोर की राय है कि पुराने नेताओं का जलवा खत्म होने और नई पीढ़ी में कोई कद्दावर नेता न होने की भरपाई कन्हैया की एंट्री से की जा सकती है। कन्हैया कुमार बीते डेढ़ सालों से सीपीआई में भी सक्रिय नहीं हैं। इससे भी इन अटकलों को बल मिला है।
हालांकि कन्हैया कुमार के कांग्रेस में संभावित एंट्री को लेकर बिहार कांग्रेस का कोई भी नेता कुछ भी खुलकर बोलने से परहेज कर रहा है। माना जा रहा है कि कई नेता उनकी संभावित एंट्री से खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।