Successful Test Of MRSAM : चांदीपुर, ओडिशा – INS सूरत से मिसाइल प्रहार का सफल परीक्षण पूरा हो गया है। दुश्मन के लक्ष्य को 70 KM दूर से ध्वस्त करते हुए मिसाइल ने DRDO और IAI की साझेदारी से बनी घातक प्रणाली पर मुहर लगा दी।
अब आतंकियों की बची-कुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है… — PM MODI in Madhubani
मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल
भारतीय नौसेना ने गुरुवार सुबह आईएनएस सूरत से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस परीक्षण से नौसेना की एंटी-एयरक्राफ्ट डिफेंस क्षमता को और मजबूती मिली है, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप मजबूती मिलती है।
70 KM की दूरी से दुश्मन को मार गिराने वाली मिसाइल
यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) पर किया गया।
मिसाइल ने हवाई लक्ष्यों को सटीकता से भेदते हुए उन्हें दोनों सीमाओं पर पूरी तरह नष्ट किया।
MRSAM मिसाइल 70 किलोमीटर की इंटरसेप्शन रेंज में आने वाले टारगेट्स जैसे मिसाइल, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन आदि को समाप्त करने में सक्षम है।
INS सूरत से पहली बार हुआ सफल परीक्षण
परीक्षण आईएनएस सूरत, भारतीय नौसेना के नवीनतम निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत, से किया गया।
यह परीक्षण अरब सागर में एक लक्ष्य पर किया गया और इसमें 100% सटीकता हासिल हुई।
MRSAM प्रणाली: इजरायल-भारत की संयुक्त उपलब्धि
MRSAM प्रणाली को डीआरडीओ और इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
यह प्रणाली हर मौसम में, 360 डिग्री कवरेज प्रदान करती है, जो युद्ध क्षेत्र में कई तरह के हवाई खतरों से सुरक्षा देती है।
मिसाइल की तकनीकी विशेषताएं
वजन: लगभग 275 किलोग्राम
लंबाई: 4.5 मीटर
व्यास: 0.45 मीटर
वारहेड क्षमता: 60 किलोग्राम
स्पीड: 2469.6 किमी/घंटा
स्टेज: दो स्टेज, कम धुएं वाली टेक्नोलॉजी
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
इस मिसाइल का निर्माण भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा किया गया है।
नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा, “यह परीक्षण भारतीय नौसेना की स्वदेशी क्षमताओं को नई ऊंचाई देता है और आत्मनिर्भर भारत अभियान की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।”
थल और वायुसेना में भी तैनात हो रही MRSAM
भारतीय सेना ने पूर्वी थिएटर में अपनी पहली MRSAM रेजिमेंट की स्थापना की है।
भारतीय वायुसेना में भी MRSAM प्रणाली को ‘बराक-8’ नाम से शामिल किया जा चुका है, जो अब आकाश मिसाइल प्रणाली के बाद दूसरा प्रमुख एयर डिफेंस सिस्टम बन गया है।