वह किस-किस केस में जमानत पर चल रहे हैं, इसका डिटेल मांगा गया है। पूर्व में जमानत मिलने के बाद हाल के दिनों में पटना कोतवाली व गांधी मैदान में दर्ज किए गए मामलों को आधार बना कर हाइकोर्ट में याचिका दायर करने और. जमानत के बाद उन पर दो मामले दर्ज हुए हैं।

पिछले दिनों सैप जवानों के साथ डाक बंगला चौराहे पर सड़क जाम में शामिल होने तथा तीन अगस्त को जेपी गोलंबर पर हुए शिक्षकों के प्रदर्शन में सड़क जाम करने के आरोप में उन पर एफआइआर दर्ज हुई थी। पुलिस का आरोप है कि जमानत के बाद वह भीड़ को उकसाने व सरकारी कार्य में बाधा डालने जैसा काम पप्पू यादव कर रहे हैं. यह बात एफआइआर में भी कही गयी है।
अब आज का मामला यह है
चीफ जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पूर्व सांसद पप्पू यादव द्वारा दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
राज्य सरकार के अपर लोक अभियोजक अधिवक्ता अजय मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि पप्पू यादव द्वारा उक्त थाना कांड के संबंध में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने के साथ ही जमानत याचिका भी दायर किया है।
पप्पू यादव का बेल बांड उक्त मामले में 16 दिसंबर, 1993 को ही रद्द हो गया था। इस मामले में पप्पू यादव फरार चल रहे थे।इसके बाद उन्होंने 8 जून, 2021 को जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जमानत याचिका के लंबित रहने के दौरान ही उक्त थाना कांड संख्या मामले में मधेपुरा स्थित निचली अदालत द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया। इस तरह इस जमानत याचिका का कोई महत्व नही रह गया है। कोर्ट को बताया गया कि इन्होंने जमानत याचिका के साथ ही इस मामले को निरस्त करने के लिए भी याचिका दायर की ह।निचली अदालत से बरी हो जाने के बाद अब इस दोनों याचिकाएं सुनवाई के योग्य नहीं रह गई है।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि याचिकाकर्ता निचली अदालत में नियमित तौर से उपस्थित हो रहे थे, किन्तु अधिवक्ता की चूक की वजह से उक्त कांड में पैरवी नहीं की जा रही थी जिसकी वजह से निचली अदालत द्वारा 16 दिसंबर, 1993 को बेल बांड रद्द कर दिया गया था।कोर्ट को बताया गया कि बेल बॉन्ड रद्द होने की सूचना याचिकाकर्ता पप्पू यादव को नहीं दी गई थी.