

योग नगरी मुंगेर को औद्योगिक राजधानी बेगूसराय सहित मिथिलांचल और सीमांचल से जोड़ने वाले गंगा नदी पर बने श्रीकृष्ण सिंह सेतु का उद्घाटन 11 फरवरी को होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा उद्घाटन के तारीख की घोषणा कर दी गई है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पुल का उद्घाटन करेंगे। हालांकि उद्घाटन स्थल पर आकर होगा या वर्चुअल, इसकी घोषणा अभी नहीं हुई है तथा एक-दो दिन में तय कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा एक बार फिर उद्घाटन की तारीख की घोषणा के बाद पुल के तमाम कमियों को पूरा करने का काम एजेंसी ने तेज कर दिया है।
विगत 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के अवसर पर पुल का उद्घाटन होना था, इसके लिए आमंत्रण कार्ड भी बंट चुके थे, लाल दरवाजा मुंगेर के समीप पंडाल बनकर तैयार हो गए थे। लेकिन गंगा नदी पर बने इस पुल के एप्रोच रोड एनएच-333 बी का काम पूरा नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्घाटन करने से इनकार कर दिया तथा सभी काम को युद्ध स्तर पर पूरा करने का निर्देश दिया था।
इसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सभी काम काफी तेजी से किया गया, उसके बाद उद्घाटन का कार्यक्रम तय किया गया है।
अटल जी के सपनों के पूरा होने से ना सिर्फ बेगूसराय और मुंगेर के द्वारा इलाकों में विकास की एक नई गाथा लिखी जाएगी। बल्कि, सीमांचल और मिथिलांचल सहित पूर्वोत्तर बिहार का झारखंड एवं पश्चिम बंगाल सहित तमाम दक्षिणी राज्यों से सीधा जुड़ाव हो जाएगा। मुंगेर का एनएच-80 बेगूसराय के एनएच-31 से जुड़ जाएगा।
3.75 किलोमीटर लंबे पुल के दोनों ओर 14.517 किलोमीटर लंबा एप्रोच पथ एनएच-333बी बनाया गया है। इस पुल के बन जाने से सड़क मार्ग से प्रतिवर्ष देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को सिमरिया पुल होकर जाने का लंबा रास्ता नहीं तय करना पड़ेगा।
25 दिसंबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुंगेर एवं साहेबपुर कमाल के बीच 3.75 किलोमीटर लंबे सड़क-सह-पुल का शिलान्यास किया और पांच वर्ष यानी 2007 में यह पुल बनकर तैयार हो जाना था। लेकिन राजनीतिक लफरेबाजी के कारण इसके निर्माण पर ग्रहण लग गया, कई रुकावट आई तथा धीरेे-धीरे लागत बढ़कर 2774 करोड़ रुपया हो गया।
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद जब नरेंद्र मोदी की इस पर नजर गई तो केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के साथ मिलकर निर्माण कार्य पूरा करने की कार्रवाई तेज किया। शिलान्यास के 14 वर्ष बाद 12 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पुल पर मालगाड़ी चलाकर रेल मार्ग का शुभारंभ किया, लेकिन सड़क मार्ग नहीं शुरू हो सका। 2020 में केंद्र एवं बिहार सरकार ने पुल को पूरा करने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू करवाया तथा काम जोर-शोर से किए गए।








